27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एसीबी ने छापेमारी कर जब्त की रिनपास घोटाला संबंधी फाइलें

रांची : रिनपास में हुई नियुक्ति घोटाले, वित्तीय अनियमितता से संबंधित फाइल हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने शुक्रवार को रिनपास कार्यालय में छापेमारी की. एसीबी स्पेशल सेल के एसपी मनोज कुमार सिंह ने निर्देश पर केस के अनुसंधानक इंस्पेक्टर केके झा द्वारा की गयी उक्त छापेमारी में कई दस्तावेजों […]

रांची : रिनपास में हुई नियुक्ति घोटाले, वित्तीय अनियमितता से संबंधित फाइल हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने शुक्रवार को रिनपास कार्यालय में छापेमारी की. एसीबी स्पेशल सेल के एसपी मनोज कुमार सिंह ने निर्देश पर केस के अनुसंधानक इंस्पेक्टर केके झा द्वारा की गयी उक्त छापेमारी में कई दस्तावेजों को जांच के लिए जब्त किया गया. एसीबी के अधिकारियों के अनुसार रिनपास नियुक्ति घोटाले की जांच के दौरान पुस्तक और दवा की खरीद के अलावा गार्ड रखने में भी अनियमितता की बात सामने आयी थी. इससे संबंधित सभी दस्तावेज की मांग पूर्व में रिनपास से की गयी थी. इसके बावजूद मामले से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये जा रहे थे.
उल्लेखनीय है कि न्यायालय के निर्देश पर गत वर्ष आठ सितंबर को एसीबी ने रिनपास नियुक्ति घोटाले में प्राथमिकी दर्ज किया था. इसमें तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव बीके त्रिपाठी, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह व हेमलाल मुर्मू, पूर्व प्रभारी निदेशक डॉ अमूल रंजन, डॉ अशोक कुमार नाग, डॉ मनीष किरण, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कप्तान सिंह सेंगर, पवन कुमार सिंह, डॉ बलराम प्रसाद, अनिल कुमार साहू, रंजन कुमार, सुरेंद्र सिंह रोहिल्ला सहित 14 लोगों पर केस दर्ज हुआ है.
जांच के दौरान एसीबी ने पाया कि डॉ अमूल रंजन की नियुक्ति रिनपास में सीनियर साइकोलॉजिस्ट के पद पर गलत तरीके से हुई थी. बाद में डॉ अमूल रंजन ने क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के पद पर मसरूहजहां के अलावा एसोसिएट प्रोफेसर के पद कैप्टन सिंह सेंगर, डॉ बलराम और केके नाग और लिपिक अनिल साहू सहित दो अन्य लोगों की नियुक्ति गलत ढंग से कराने में अहम भूमिका निभायी.
जांच में यह भी पाया गया कि 2010 मेें तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने पीत पत्र लिख कर डॉ अमूल रंजन को प्रभारी निदेशक बनाये जाने की अनुमति दी थी, जबकि डॉ अमूल रंजन इस पद के लिए योग्य नहीं थे. वर्ष 2013 में जब महालेखाकार ने इस पर आपत्ति की, तब सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया था. दोबारा उन्हें रिनपास का प्रभारी निदेशक बनाया गया. तब इससे संबंधित अनुशंसा तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव बीके त्रिपाठी ने की थी. जिस पर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह ने सहमति दी थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें