किस परिस्थिति में बिना नोटिस दिये तीन अभियुक्तों को हाइकोर्ट के एडवाइजरी बोर्ड के समक्ष पेश कर दिया गया. जिस कारण बोर्ड ने सरकार द्वारा अनुमोदित सीसीए के आदेश को संपुष्ट नहीं किया. उल्लेखनीय है कि रामगढ़ जिला प्रशासन ने 28 फरवरी को चार अभियुक्तों मो हसन, शेर मोहम्मद, इरफान अंसारी व इकरामुल अंसारी पर सीसीए लगाने की अनुशंसा गृह विभाग को भेजी थी. अनुशंसा में सभी का पता रामगढ़ जेल लिखा गया था.
सरकार ने विचार-विमर्श के बाद प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए तीन मार्च को चारों पर सीसीए लगाने का आदेश जारी कर दिया. जिला प्रशासन ने चारों के खिलाफ सीसीए का नोटिस रामगढ़ जेल को भेजा. जेल प्रशासन ने यह कहते हुए नोटिस लौटा दिया कि अभियुक्त वहां बंद नहीं हैं. एक अप्रैल को हाइकोर्ट एडवाइजरी कमेटी की तिथि निर्धारित कर दी गयी. इस दौरान पता चला कि शेर मोहम्मद गुमला जेल में बंद था. वह जमानत पर छूट गया है. अन्य तीन अभियुक्त भी अलग-अलग जेलों में थे और जमानत पर छूट गये थे. इसका पता चलने के बाद रामगढ़ प्रशासन ने चारों को पकड़ने की कोशिश की. 31 मार्च को तीन अभियुक्तों को पुलिस ने पकड़ कर एडवाइजरी कमेटी की बैठक में पेश किया, जहां पर सभी ने बताया कि उन्हें तो कोई नोटिस ही नहीं मिला है. जिसके बाद कमेटी ने सीसीए को संपुष्ट करने से इनकार कर दिया.