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कोर्ट: रांची-जमशेदपुर एनएच चाैड़ीकरण का काम करनेवाली कंपनी के एमडी को लगी फटकार, निर्देश युद्ध स्तर पर करें कार्य, नहीं तो हो सकता है केस

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के तेजी से चाैड़ीकरण को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. कार्य करनेवाली संवेदक कंपनी के एमडी को फटकार लगायी. कोर्ट ने तीन माह का समय देने का आग्रह ठुकराते हुए युद्ध स्तर पर मरम्मत कार्य करने का निर्देश दिया. कहा […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के तेजी से चाैड़ीकरण को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. कार्य करनेवाली संवेदक कंपनी के एमडी को फटकार लगायी. कोर्ट ने तीन माह का समय देने का आग्रह ठुकराते हुए युद्ध स्तर पर मरम्मत कार्य करने का निर्देश दिया. कहा कि कार्य नहीं करने पर ब्लैक लिस्टेड किया जा सकता है. क्रिमिनल केस भी दर्ज हो सकता है. 30 अप्रैल तक मरम्मत कार्य पूरा करने के बाद अनुपालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करें.

कोर्ट ने कहा कि प्लीडर कमिश्नर या स्वतंत्र एजेंसी से मरम्मत कार्य का स्थल निरीक्षण कराया जा सकता है. कोर्ट स्वयं भी निरीक्षण कर सकता है. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दाैरान चीफ जस्टिस ने माैखिक रूप से कहा कि वह कई बार रांची-जमशेदपुर राजमार्ग पर यात्रा कर चुके हैं. इस वर्ष दो बार जा चुके हैं. सड़क की स्थिति ठीक नहीं है. मरम्मत जरूरी हो गयी है. मरम्मत कार्य कब तक पूरा होगा. दूसरे राज्यों के हाइवे को देखें. झारखंड में ध्यान नहीं दिया जा रहा है. क्या इसलिए ध्यान नहीं दिया जा रहा है कि झारखंड ट्राइबल स्टेट है. अधिकारी अपने रवैये को बदलें आैर कार्य पर ध्यान दें.

खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि साढ़े चार साल बीतने के बाद भी 120 किमी राजमार्ग का चाैड़ीकरण नहीं हो पाया. इससे क्या साख रह जायेगी. कुछ नहीं किया गया. राजमार्ग की स्थिति खराब होने के कारण हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. अदालत में संवेदक कंपनी के एमडी सशरीर उपस्थित थे. उन्होंने अंडरटेकिंग देकर खंडपीठ को बताया कि 30 अप्रैल तक मरम्मत का कार्य पूरा हो जायेगा. एनएचएआइ की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पक्ष रखा. बताया गया कि दिसंबर 2017 तक 163 किमी का कार्य पूरा होना है. 13 किमी में फॉरेस्ट क्लियरेंस का मामला लंबित है. उल्लेखनीय है कि रांची-जमशेदपुर एनएच के धीमी गति से हो रहे चाैड़ीकरण कार्य को गंभीरता से लेते हुए झारखंंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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