राज्य में पंचायत उपचुनाव के लिये अब तक मतदाता सूची तक प्रकाशित नहीं की गयी है. स्थानीय शहरी निकायों के लिए वार्डो का परिसीमन, वार्डो की संख्या का निर्धारण, मतदाता सूची का विखंडन, सूची का अंतिम प्रकाशन, मतदान केंद्रों का निर्धारण, आरक्षण, चुनाव चिह्न आवंटन जैसी प्रक्रियाओं पर कार्रवाई निर्वाचन आयुक्त के बिना संभव नहीं है. आयुक्त की अनुपस्थिति की वजह से पूर्व में हुए चुनावों के दौरान खर्च का ब्योरा और शपथपत्र नहीं देनेवाले अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है. निकाय चुनाव की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी जारी नहीं हुआ है. पंचायत चुनाव दिसंबर 2015, जबकि निकाय चुनाव मार्च 2013 में संपन्न हुआ था.
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झारखंड में नौ महीने से रिक्त पड़ा है राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद, स्थानीय निकाय चुनावों पर संकट
रांची: झारखंड में राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति नहीं होने से मार्च-अप्रैल 2018 में प्रस्तावित 36 स्थानीय शहरी निकायों के चुनाव पर भी संकट है. संविधान के 73वें संशोधन में पंचायत चुनाव समाप्त होने के अधिकतम छह माह के अंदर उपचुनाव की तैयारी शुरू कर देने का प्रावधान किया है. इसी वजह से चुनावी प्रक्रिया […]
रांची: झारखंड में राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति नहीं होने से मार्च-अप्रैल 2018 में प्रस्तावित 36 स्थानीय शहरी निकायों के चुनाव पर भी संकट है. संविधान के 73वें संशोधन में पंचायत चुनाव समाप्त होने के अधिकतम छह माह के अंदर उपचुनाव की तैयारी शुरू कर देने का प्रावधान किया है. इसी वजह से चुनावी प्रक्रिया डेढ़ से दो वर्ष पहले से ही शुरू हो जाती है.
राज्य में पंचायत उपचुनाव के लिये अब तक मतदाता सूची तक प्रकाशित नहीं की गयी है. स्थानीय शहरी निकायों के लिए वार्डो का परिसीमन, वार्डो की संख्या का निर्धारण, मतदाता सूची का विखंडन, सूची का अंतिम प्रकाशन, मतदान केंद्रों का निर्धारण, आरक्षण, चुनाव चिह्न आवंटन जैसी प्रक्रियाओं पर कार्रवाई निर्वाचन आयुक्त के बिना संभव नहीं है. आयुक्त की अनुपस्थिति की वजह से पूर्व में हुए चुनावों के दौरान खर्च का ब्योरा और शपथपत्र नहीं देनेवाले अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है. निकाय चुनाव की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी जारी नहीं हुआ है. पंचायत चुनाव दिसंबर 2015, जबकि निकाय चुनाव मार्च 2013 में संपन्न हुआ था.
टल रहा है पंचायतों व निकायों का उपचुनाव
झारखंड में राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद रिक्त होने की वजह से पंचायत व नगर निकायों का उपचुनाव टल रहा है. राज्य की विभिन्न पंचायतों में 1628 और निकायों में 12 पदों के लिए उपचुनाव कराये जाने हैं. पंचायतों व निकायों में इस वर्ष सितंबर-अक्तूबर में ही उपचुनाव संभावित था, लेकिन राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर किसी की नियुक्ति नहीं होने की वजह से उपचुनाव नहीं कराया जा सका है. पूर्व राज्य निर्वाचन आयुक्त शिव बसंत छह जुलाई 2016 को सेवानिवृत्त हुए थे. तब से यह पद रिक्त है.
नियुक्ति के लिए न्यायालय में दायर की गयी है याचिका
पिछले सात महीने से रिक्त पड़े राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी है. आलोक दुबे की ओर से दायर की याचिका में निर्वाचन आयुक्त जैसे संवैधानिक पद का महीनों से खाली रहना जनहित के विरुद्ध बताया गया है. कहा गया है कि आयुक्त के पद रिक्त रहने से जहां पंचायत उपचुनाव पर प्रतिकूल असर पड़ा है. राज्य निर्वाचन आयुक्त से जुड़ी निर्वाचन आयोग की अन्य गतिविधियां भी ठप है. राज्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल सरकार ने घटा कर तीन वर्ष कर दिया गया है. अब राज्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल पांच साल के बदले तीन साल का हो गया है.
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