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आइसीएआर का पूर्वी अनुसंधान परिसर का स्थापना दिवस, गवर्नर ने कहा वैज्ञानिक तरीके से खेती करें

नामकुम: झारखंड प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के बाद भी अपनी खाद्य आवश्यकताओं के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर है. वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन तथा गिरते जल स्तर कृषि कार्य के लिए उचित नहीं हैं. इन स्थितियों में सुधार तभी लाया जा सकेगा, जब परंपरागत की जगह, वैज्ञानिक तरीके से किसान खेती करेंगे. यह बातें […]

नामकुम: झारखंड प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के बाद भी अपनी खाद्य आवश्यकताओं के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर है. वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन तथा गिरते जल स्तर कृषि कार्य के लिए उचित नहीं हैं. इन स्थितियों में सुधार तभी लाया जा सकेगा, जब परंपरागत की जगह, वैज्ञानिक तरीके से किसान खेती करेंगे. यह बातें राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने बुधवार को नामकुम के पलांडु स्थित आइसीएआर, इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के पूर्वी अनुसंधान परिसर के 17वें स्थापना दिवस के मौके पर कही.

श्रीमती मुरमू ने आधुनिक कृषि को रोजगार व खाद्य सुरक्षा का एकमात्र उपाय बताया. कृषि तकनीकों के व्यापक प्रसार को जरूरी कहा. उन्होंने कृषि के क्षेत्र में पढ़े-लिखे युवाओं को भी आने का आह्वान किया. प्रखंडों में सरकारी संस्थानों की मदद से किसानों के प्रशिक्षण, कृषि मेले का आयोजन, स्वयं सहायता व महिला समूहों को नयी कृषि तकनीक से अवगत कराने पर भी जोर दिया. राज्यपाल ने इस दौरान झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल तथा असम से आये प्रगतिशील किसानों, मीडियाकर्मियों व संस्थान के कर्मचारियों को कृषि व उससे जुड़े उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया. राज्यपाल ने संस्थान परिसर में कृषि की उन्नत तकनीकों पर आधारित प्रदर्शनी का भी उदघाटन किया.
वैज्ञानिक कृषि : चर्चा व संगोष्ठी
कार्यक्रम में झारखंड सहित सात राज्यों से आये लगभग 70 किसानों के लिए वैज्ञानिक कृषि चर्चा व संगोष्ठी भी आयोजित हुई. मौके पर आइसीएआर के पूर्वी अनुसंधान परिसर के निदेशक डॉ भगवती प्रसाद भट्ट, बिरसा कृषि विवि के कुलपति डॉ परविंदर कौशल, आइआइएनआरजी के निदेशक डॉ केके शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार सिंह सहित अन्य उपस्थित थे.
दूसरी हरित क्रांति के लिए टास्क फोर्स की जरूरत: डॉ परविंदर कौशल
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने झारखंड में खाद्यान की उपलब्धता को सुनिश्चित करने व दूसरे राज्यों पर निर्भरता को कम करने के लिए सभी वर्ग के सहयोग को आवश्यक बताया. उन्होंने कहा कि न सिर्फ झारखंड, बल्कि भारत में दूसरी हरित क्रांति के लिए एक टास्क फोर्स की जरूरत है. इसके अंतर्गत राज्य सरकार, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय व आइसीएआर के संस्थानों को मिल कर काम करना होगा.
आवश्यकता आधारित हो अनुसंधान : डा बीपी भट्ट
आइसीएआर के पूर्वी अनुसंधान परिसर के निदेशक डॉ भगवती प्रसाद भट्ट ने कहा कि पूर्वी भारत भौगोलिक दृष्टिकोण से विविधताओं से भरा है. सभी राज्यों की अपनी-अपनी जरूरतें हैं. उन्हें पूरा करने के लिए संसाधन भी अलग हैं. शोध संस्थान उन्हें ध्यान में रख कर अनुसंधान कार्य करें, तभी लक्ष्यों को पूरा किया जा सकता है.

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