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नहीं रहे प्रोबेशन होम की बच्चियों के पापा

शोक. जस्टिस कबीर के निधन से शोक में डूबा महिला प्रोबेशन होम रांची/नामकुम : कहते हैं न्याय रिश्तों को नहीं समझता, केवल तथ्यों की पड़ताल करता है. पर सत्य की अपनी विशिष्टता है. इसी सच की एक विशिष्टता भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अल्तमस कबीर थे. उनके साथ काम करनेवाले झारखंड हाइकोर्ट के पूर्व […]

शोक. जस्टिस कबीर के निधन से शोक में डूबा महिला प्रोबेशन होम

रांची/नामकुम : कहते हैं न्याय रिश्तों को नहीं समझता, केवल तथ्यों की पड़ताल करता है. पर सत्य की अपनी विशिष्टता है. इसी सच की एक विशिष्टता भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अल्तमस कबीर थे. उनके साथ काम करनेवाले झारखंड हाइकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ऐसी ही कुछ सच्चाई जस्टिस कबीर के बारे में बयां करते हैं. जस्टिस कबीर के निधन से एक तरफ न्यायपालिका में शोक की लहर है, तो दूसरी तरफ महिला प्रोबेशन होम की बच्चियां भी शोकाकुल हैं.
प्रोबेशन होम से जस्टिस कबीर का आत्मीय लगाव था. झारखंड से जाने के बाद भी वह यहां प्रोबेशन होम की बच्चियों से अक्सर मिलने आया करते थे. स्वर्गीय कबीर और उनकी पत्नी मीना कबीर इन बच्चियों के लिए अभिभावक तुल्य थे. इनकी छोटी-मोटी जरूरतों का ख्याल रखते थे. इनके साथ घूमना, पिकनिक मनाना व मौज-मस्ती के लिए कबीर दंपती सहज रूप से उपलब्ध रहते थे. जस्टिस कबीर के एक करीबी का कहना है कि प्रोबेशन होम की बच्चियों के लिए उनके घर में कोई रोक-टोक नहीं थी. यहां आने के बाद बच्चियां पूरे दिन मौज-मस्ती करती थीं.
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश थे जस्टिस अल्तमस कबीर
बच्चियों के लालन-पालन का रखते थे विशेष ध्यान
प्रोबेशन होम की बच्चियों के बीच मम्मी-पापा के नाम से पुकारे जानेवाले जस्टिस कबीर व उनकी पत्नी मीना कबीर बच्चियों से काफी लगाव रखते थे. 2005 में झारखंड हाइकोर्ट में अपने कार्यकाल के समय से ही जस्टिस कबीर व उनकी पत्नी यहां से जुड़े रहे. बच्चियों को उचित संसाधन मिले. उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण मिले तथा उनकी पढ़ाई में भी किसी प्रकार की बाधा न आये, इस प्रयास में वे हमेशा लगे रहते थे. 2006 में नामकुम में महिला प्रोबेशन होम की स्थापना तथा उसके निर्माण में भी जस्टिस कबीर रुचि लेते रहे. इतना ही नहीं प्रोबेशन होम के कर्मचारियों के लिए भी सुविधाएं
बहाल हो, इसके लिए भी वह गंभीर रहे. उन्होंने विशेष रुचि लेकर 2010 में यहां के स्टाफ क्वार्टरों की आधारशिला भी स्वयं रखी. जस्टिस कबीर व उनकी पत्नी ने मां-बाप की तरह ही यहां की बच्चियों की शादी में भी हिस्सा लिया. यहां के कर्मचारी बताते हैं कि प्रोबेशन होम में जन्म लेनेवाली बच्ची से जस्टिस कबीर विशेष स्नेह रखते थे.
उपेंद्र नामक दिव्यांग की सेवा व देखभाल खुद उनकी पत्नी मीना कबीर ने रिम्स में की थी. अपने प्रेम व वात्सल्यपूर्ण व्यवहार के कारण जस्टिस कबीर प्रोबेशन होम में रह रही बच्चियों के काफी नजदीक थे. रविवार को उनके निधन से महिला प्रोबेशन होम के कर्मचारी व यहां की बच्चियां सिर से पिता का साया उठ जाने जैसा महसूस कर रही हैं.
झारखंड को अपना दूसरा घर मानते थे जस्टिस अल्तमस कबीर
जस्टिस कबीर झारखंड को अपना दूसरा घर मानते थे. भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद झारखंड में आयोजित एक अभिनंदन समारोह में हिस्सा लेने आये जस्टिस कबीर ने खुद यह बातें कही थी. उन्होंने कहा था कि झारखंड के लोगों का स्नेह मुझे यहां खींच लाता है. मैं यहां केवल जज के रूप में नहीं, बल्कि एक आम इनसान होने के नाते आता हूं. यहां के लोगों का प्यार पाकर बिल्कुल घर जैसा महसूस होता है. पश्चिम बंगाल के बाद झारखंड वैसे भी मेरे दूसरे घर की तरह ही है. छह माह ही मैं यहां रहा, पर यहां के लोगों का और प्रोबेशन होम की बच्चियों के साथ जो लगाव हुआ, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.
जस्टिस कबीर का झारखंड से था विशेष लगाव : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने कहा कि झारखंड से जस्टिस कबीर का विशेष लगाव था. उनके निधन से झारखंड ने सच्चा साथी खो दिया है. राज्य को अपूरणीय क्षति हुई है.
अर्जुन मुंडा ने जताया शोक
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने कहा कि उनका अलग व्यक्तित्व सबके दिल को छूता था.
झारखंड को अपूरणीय क्षति : चंद्रप्रकाश चौधरी
पेयजल स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने कहा कि झारखंड से उनका गहरा नाता था. राज्य के लिए उनके दिल में खास जगह थी. रांची के रिमांड होम के बच्चों के लिए वह अभिभावक तुल्य थे. उनके निधन से राज्य को अपूरणीय क्षति हुई है.
गरीब बच्चों के हितैषी थे जस्टिस कबीर : प्रतुल
जस्टिस एलपीएन शाहदेव फाउंडेशन के निदेशक प्रतुल शाहदेव ने कहा कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर के आकस्मिक निधन से समाज को बड़ी क्षति हुई है. जस्टिस कबीर न सिर्फ एक अच्छे न्यायाधीश थे, बल्कि गरीब बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते थे.
उनका झारखंड से गहरा नाता था. नामकुम के महिला प्रोबेशन होम की बच्चियों से उनका इतना गहरा लगाव था कि वहां की बच्चियां उन्हें पापा कहती थी. रांची से स्थानांतरण के बाद भी जस्टिस कबीर का लगाव यहां से बना रहा और वह अक्सर नामकुम प्रोबेशन होम की बच्चियों से मिलने आते थे.

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