रांची: सीसीएल में मेडिकल ग्राउंड पर अनफिट (9:4:0) कर्मियों के परिजनों को नौकरी नहीं मिल पा रही है. छह माह से बोर्ड की बैठक नहीं हुई है. करीब दो दर्जन से अधिक मामले लंबित हैं. कंपनी को हर छह माह पर बोर्ड की बैठक करनी है. इसमें ऐसे आवेदनों पर विचार करना है. पूर्व सीएमएस […]
रांची: सीसीएल में मेडिकल ग्राउंड पर अनफिट (9:4:0) कर्मियों के परिजनों को नौकरी नहीं मिल पा रही है. छह माह से बोर्ड की बैठक नहीं हुई है. करीब दो दर्जन से अधिक मामले लंबित हैं. कंपनी को हर छह माह पर बोर्ड की बैठक करनी है. इसमें ऐसे आवेदनों पर विचार करना है. पूर्व सीएमएस डॉ वीके शर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद से बोर्ड की मात्र दो बैठक हुई. सीसीएल में शारीरिक रूप से अनफिट कर्मियों के परिजनों को नौकरी देने का प्रावधान है. इसमें छह तरह की बीमारियों को रखा गया है.
कंपनी में कैंसर, हृदय रोग, लकवा, किडनी व अंधापन रोग से पीड़ित मरीजों के स्थान पर उनके परिजनों को नौकरी देने का प्रावधान है. कंपनी इसके अतिरिक्त वैसे रोगों के लिए भी आवेदन जमा ले लेती है, जो इस श्रेणी में नहीं आते हैं. इसकी जांच मेडिकल बोर्ड करता है.
सीसीएल में प्रावधान के बाद अन्य बीमारियों के लिए आनेवाले मरीजों को 9:4:0 (दो) की श्रेणी में रखा जाता है. 9:4:0 (दो) के तहत आनेवाली बीमारियों की सूची बना कर कंपनी ने कोल इंडिया को भेजी है. कोल इंडिया से अब तक 9:4:0 (दो) की बीमारियों को शामिल करने की अनुमति नहीं आयी है. सीसीएल में आवदेकों से कहा जा रहा है कि कोल इंडिया से अनुमति आने के बाद ही मेडिकल रूप से अनफिट करने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी.
बिना वेतन के घर बैठे रहते हैं कर्मी
सीसीएल में गंभीर रूप से बीमार कर्मियों को अनफिट कर दिया जाता है. जो कर्मचारी मेडिकल अनफिट के लिए आवेदन दिये हैं, वे लंबे समय से कार्यालय नहीं आ रहे हैं. इन्हें वेतन भी नहीं दिया जाता है. ऐसे में इनके समक्ष समस्या उत्पन्न हो गयी है.
प्रबंधन से भी शिकायत
द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के महासचिव सनत कुमार मुखर्जी ने पूरे मामले से सीसीएल प्रबंधन को अवगत कराया है. उन्होंने कहा कि है चिकित्सकों की अदूरदर्शिता के कारण ऐसा हो रहा है. जब तक 9:4:0 (दो)के संबंध में कोल इंडिया से कोई आदेश-निर्देश नहीं आ जाता है, तब तक पूर्व की तरह मेडिकल बोर्ड गठित कर फिट या अनफिट किया जाये.