रांची : प्रधान महालेखाकार ने न केवल टाटा के लीज उल्लंघन का मामला पकड़ा है, बल्कि रॉयल्टी चोरी का मामला भी प्रकाश में लाया है. प्रधान महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा की वेस्ट बोकारो कोलियरी में भी 446 करोड़ की रॉयल्टी चोरी की गयी है. महालेखाकार की रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने टाटा […]
रांची : प्रधान महालेखाकार ने न केवल टाटा के लीज उल्लंघन का मामला पकड़ा है, बल्कि रॉयल्टी चोरी का मामला भी प्रकाश में लाया है. प्रधान महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा की वेस्ट बोकारो कोलियरी में भी 446 करोड़ की रॉयल्टी चोरी की गयी है. महालेखाकार की रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने टाटा की वेस्ट बोकारो कोलियरी को 446 करोड़ रुपये भुगतान करने का डिमांड नोटिस भेज दिया है. महालेखाकार की रिपोर्ट को इसका आधार बनाया गया है.
क्या है मामला
महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा की वेस्ट बोकारो कोलियरी में कोल वॉशरी भी है. नियमानुसार माइनिंग लीज की जमीन पर जब रॉयल्टी ली जाती है, तो माइनिंग और वॉशरी की अलग-अलग दर तय की जाती है.लीज की जमीन पर वॉशरी भी खोलने पर अलग से रॉयल्टी देनी पड़ती है. वेस्ट बोकारो कोलियरी ने इस मामले में केवल कोल माइनिंग की ही रॉयल्टी का भुगतान किया है. लीज की जमीन पर वॉशरी होने के बावजूद इस पर रॉयल्टी नहीं दी. महालेखाकार ने इस मामले में कुल 446 करोड़ रुपये रॉयल्टी नुकसान का आकलन किया है. इसके बाद राज्य सरकार ने वेस्ट बोकारो कोलियरी को डिमांड नोटिस भेजा है. उप महालेखाकार ने बताया कि वेस्ट बोकारो कोलियरी ने सरकार को पूरी राॅयल्टी नहीं दी है.
लीज शर्तों के उल्लंघन से करोड़ों का नुकसान
महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा ने लीज शर्तों का उल्लंघन कर लीज की जमीन भी बेची है. इसे सब लीज पर दिया है. डीवीसी ने भी लीज शर्तों का उल्लंघन किया है. इन दोनों कंपनियों द्वारा लीज की शर्तों का उल्लंघन करने की वजह से सरकार को 4377.48 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. टाटा और डीवीसी ने सरकार की अनुमति के बिना ही सब लीज पर 469.38 एकड़ जमीन 1279 निजी व्यक्तियों सहित उद्योगों को दे दी. टाटा लीज की जमीन में से 4.31 एकड़ जमीन 23 सेल डीड के सहारे बेच दी. लीज नवीकरण के समय अतिक्रमित 86 बस्ती की जमीन को अपने लीज से हटा दी गयी.
सरकार ने टाटा को 12708.59 एकड़ जमीन लीज पर दी थी. वर्ष 2005 में टाटा ने सिर्फ 10852.27 एकड़ जमीन के ही लीज नवीकरण के लिए आवेदन दिया. सरकार ने इसे बिना किसी कारण ही स्वीकार कर लिया. टाटा लीज क्षेत्र से नवीकरण के समय हटायी जमीन पर पूरी तरह अतिक्रमण कर लिया गया है. इसे 86 बस्ती के नाम से जाना जाता है. अतिक्रमित जमीन मेें से 1111.04 एकड़ जमीन पर 17986 भवन बने हुए हैं. शेष 675.85 एकड़ जमीन पर नाली, सड़क, मंदिर, मसजिद, गुरुद्वारा, स्कूल आदि बने हुए हैं. जमीन के अतिक्रमण से सरकार को 248.77 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है. सरकार ने इस जमीन को खाली कराने की दिशा में किसी तरह की कार्रवाई नहीं की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि टाटा स्टील ने लीज क्षेत्र में से 122.82 एकड़ पर सीमेंट प्लांट बनाया. इसके बाद वर्ष 1999 में लाफार्ज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को एक व्यापारिक एकरारनामे के तहत सौंप दिया. एकरारनामा मेें इस बात का उल्लेख किया गया था कि लाफार्ज इसे 550 करोड़ रुपये में लेने को तैयार है.
नवंबर 1999 में सब रजिस्ट्रार ने सेल डीड संख्या 9313 के सहारे इस सीमेंट प्लांट को लाफार्ज के नाम कर दिया. इससे सरकार को 26.76 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ. रिपोर्ट में सरकार की अनुमति से टाटा द्वारा दूसरी इकाइयों और संस्थाओं को अपनी जमीन सबलीज पर देने और सबलीज धारकों द्वारा लगान आदि नहीं देने की वजह से 195.31 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि टाटा ने सरकार की सहमति के बाद 59 इकाइयों व संस्थाओं को जमीन सबलीज पर दी. इनमें फारचुन होटल, टाटा रॉबिंस, टाटा ब्ल्यू स्कोप और एक्सएलआरआइ सहित 59 इकाइयां शामिल हैं.