प्रेस कांफ्रेंस में अहमदिया मुसलिम जमात के अमीर मौलाना मसूद अहमद ने रखे विचार
रातू. इसलाम में शरीअत से बड़ा कोई कानून नहीं है. देश के मुसलमान संविधान पर अपनी आस्था रखते हैं.हम कुरान व हदीस के विरुद्ध नहीं जा सकते. उक्त बातें अहमदिया मुसलिम जमात रांची के अमीर मौलाना मसूद अहमद ने रविवार को पाम रेस्टुरेंट रातू में जमात के तत्वावधान में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही. उन्होंने कहा कि हलाला की गलत व्याख्या से मुसलिम महिलाएं अपमानित हो रही हैं. कुरान का हवाला देते हुए बताया कि इसलाम में विशेष परिस्थिति में एक से अधिक शादी की इजाजत जरूर है, इसे आदेश नहीं समझा जाना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि इसलाम में विशेष परिस्थिति में तलाक की छूट दी गयी है. इसका गलत इस्तेमाल खुदा को भी पसंद नहीं है, हम तो इंसान हैं. कुरान के हवाला से दावा किया कि इसलाम में औरतों को भी मर्द के बराबरी अधिकार है.
पति से तंग आ चुकी महिलाएं खुला लेने का हक रखती हैं. मौलाना मसूद ने कहा कि इसलाम व इसके शरीयत पर किसी हुकूमत ने अंगुली नहीं उठायी, लेकिन वर्तमान सरकार ने उलेमाअों की गलत बयानबाजी व आचरण की वजह से शरीयत के खिलाफ मुद्दा उठा कर अच्छा नहीं किया. जमात इसकी आलोचना करता है.
जमात का उद्देश्य देश व दुनिया में अमन व शांति का पैगाम देना है. आज 209 देशों में जमात को माननेवाले हैं. मौके पर फारूख अहमद, मौलाना शब्बीर चांद, शाहनवाज अहमद, नुरूल होदा, मौलाना निजाम, मौलवी शकूर आलम, नजरूल इसलाम, शौकत अंसारी, अब्दुल, जमाल सहित अन्य उपस्थित थे.