रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने गुरुवार को इसीएल की राजमहल कोल परियोजना के ललमटिया खदान हादसे को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान डायरेक्टर जनरल अॉफ माइंस शेफ्टी (डीजीएमएस) की अोर से माैखिक रूप से बताया गया कि ललमटिया खदान का कोई माइनिंग प्लान नहीं था. इसके लिए कोई अनुमति नहीं दी गयी थी. कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया जा रहा था.
एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने पूछा कि इस हादसे में कितने कर्मियों की माैत हुई है. कितने शव बरामद किये गये हैं. कितने कर्मियों को खदान के अंदर भेजा गया था. कितने कर्मी अब तक लापता हैं. अब तक क्या-क्या दस्तावेज जब्त किये गये हैं आैर क्या कार्रवाई की गयी है. रेस्क्यू अॉपरेशन की क्या स्थिति है. कोर्ट ने डीजीएमएस को शपथ पत्र दायर कर विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मो सरफराज ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि 30 दिसंबर 2016 को खदान दुर्घटना हुई थी, जिसमें काफी संख्या में मजदूर दब गये थे. दुर्घटना में दर्जनों मजदूरों की माैत हो गयी थी. सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर खदान से कोयला निकाला जा रहा था. इसमें इसीएल व खनन कार्य कर रही महालक्ष्मी कंपनी (आउटसोर्सिंग) की मिलीभगत है. मामले की सीबीआइ से जांच कराने का आग्रह किया गया है.
इसीएल ने कहा, माइंस सेफ्टी का ध्यान रखा
इसीएल की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिंहा ने डीजीएमएस के जवाब का विरोध करते हुए कहा कि उसके पास माइनिंग प्लान है. जरूरी दस्तावेज भी है. माइंस शेफ्टी मानक के अनुसार सभी बातों का ध्यान रखा गया था. इसीएल द्वारा इस मामले में कोई अवहेलना नहीं की गयी है. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता लुकेश कुमार ने पक्ष रखा.