रांची: कोडरमा जिले के तिलैया थाना की पुलिस ने 28-29 अक्तूबर 2012 को आदिल अंसारी नामक युवक को पकड़ कर 24 घंटे से अधिक समय तक थाने में रखा, उसे प्रताड़ित किया. आदिल ने इस मामले की शिकायत मानवाधिकार आयोग से की. आयोग के निर्देश पर कोडरमा के तत्कालीन एसपी शंभु ठाकुर ने इस मामले की जांच कर रिपोर्ट दी, जिसे पुलिस मुख्यालय ने आयोग को भेज दिया. इस बीच, मुख्यालय के आदेश पर डीआइजी सुमन गुप्ता ने भी मामले की जांच की.
उनकी रिपोर्ट जब मुख्यालय पहुंची, तो अधिकारियों ने पाया है कि मो आदिल की शिकायत सही है. एसपी और डीआइजी की रिपोर्ट अलग-अलग है. एसपी की रिपोर्ट में जहां तिलैया थाना के तत्कालीन प्रभारी अरुण कुमार को निदरेष बताया गया है, वहीं डीआइजी की रिपोर्ट में दोषी बताया गया है.
क्या है डीआइजी की रिपोर्ट
डीआइजी की रिपोर्ट के मुताबिक तिलैया थाना के तत्कालीन प्रभारी अरुण कुमार ने बिना किसी प्रमाणित आरोप के नाबालिग मो आदिल अंसारी को 24 घंटे से अधिक समय तक थाने में बंद रखा. इस दौरान उसके साथ मारपीट की गयी. इंस्पेक्टर ने अपने स्पष्टीकरण में बताया है कि आदिल के पास से चाबी का गुच्छा मिला था, लेकिन इस संबंध में थाने की दैनिकी में कोई जब्ती सूची अंकित नहीं की गयी है.
क्या थी एसपी की रिपोर्ट
कोडरमा के तत्कालीन एसपी शंभु ठाकुर ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पुलिस के स्तर से कोई गलती नहीं हुई है. मो आदिल अंसारी को पुलिस ने शक के आधार पर पकड़ा था, लेकिन कुछ देर बाद ही निजी मुचलके पर उसे छोड़ दिया गया. तत्कालीन थाना प्रभारी ने उसके साथ मारपीट नहीं की थी. सिपाही द्वारा हल्का बल प्रयोग किया गया था.
रिपोर्ट में भी अंतर
पुलिस मुख्यालय पहुंची कोडरमा के पूर्व एसपी और पूर्व डीएसपी की रिपोर्ट में भी अंतर है. एसपी की रिपोर्ट में मो आदिल अंसारी को पकड़े जाने की तारीख 27 अक्तूबर 2012 बतायी गयी है, जबकि डीएसपी की रिपोर्ट में 28 अक्तूबर 2012 बतायी गयी है.