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26 साल बाद लोअर कोर्ट का फैसला, मार्टिन टेटे हत्याकांड में भाटिया सहित तीन बरी

रांची : अपर न्यायायुक्त (एजेसी) प्रदीप कुमार की अदालत ने बुधवार को 26 वर्ष बाद जीइएल चर्च के प्रमुख पादरी मार्टिन टेटे हत्याकांड मामले में फैसला सुनाया़ अदालत ने आरोपी कांग्रेसी नेता रोशन लाल भाटिया, अनिल कुमार कपूर व डॉ तापस मुखर्जी काे संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया़ कुछ दिन पहले इस […]

रांची : अपर न्यायायुक्त (एजेसी) प्रदीप कुमार की अदालत ने बुधवार को 26 वर्ष बाद जीइएल चर्च के प्रमुख पादरी मार्टिन टेटे हत्याकांड मामले में फैसला सुनाया़ अदालत ने आरोपी कांग्रेसी नेता रोशन लाल भाटिया, अनिल कुमार कपूर व डॉ तापस मुखर्जी काे संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया़ कुछ दिन पहले इस मामले में सुनवाई पूरी हुई थी़ फैसला के बाद मार्टिन टेटे की संबंधी पुष्पा रानी ने कहा कि निचली अदालत के फैसले के खिलाफ वह उच्च न्यायालय में अपील करेंगी़.
रोशन लाल भाटिया रो पड़े : फैसला सुनाये जाने के बाद कोर्ट से निकलते हुए रोशन लाल भाटिया खुशी से रो पड़े़ उन्होंने कहा कि 26 साल बाद उन्हें न्याय मिला है़ अदालत के फैसले वह काफी खुश है़ं दो युग से अधिक इस मामले को लेकर तनाव में रहे है़ं उन्हें अधिवक्ता संजय विद्रोही ने सांत्वना देते हुए चुप कराया़.
हाइकोर्ट ने दो माह में सुनवाई पूरी करने का दिया था आदेश : अगस्त महीने में झारखंड हाइकोर्ट ने इस हत्याकांड को दो महीने के अंदर सुनवाई पूरी कर लेने का आदेश निचली अदालत को दिया था़ उसी आदेश के आलोक में लंबित मुकदमे में पुन: सुनवाई शुरू हुई़ हालांकि सुनवाई पूरी होने में दो की जगह चार महीने लग गये. टेटे हत्याकांड में उक्त तीनों आरोपी ट्रायल फेस कर रहे थे.
क्या है मामला
मार्टिन टेटे की हत्या कोलकाता में 10 जून 1990 को की गयी थी़ इस हत्याकांड के बाद काफी हंगामा हुआ था. नौ जुलाई 1990 को तत्कालीन मजिस्ट्रेट विनोद शंकर लाल की मौजूदगी में कब्र से टेटे का शव निकाला गया था और पोस्टमार्टम के लिए आरएमसीएच (अब रिम्स) भेजा गया था. साथ ही शव के नाखून और बाल फॉरेंसिक जांच के लिए पटना भेजा गया था़ इस हत्याकांड को लेकर लोअर बाजार थाना (रांची) में 10 जून 1990 को प्राथमिकी (कांड संख्या- 126/90) दर्ज की गयी थी. इसमें रोशन लाल भाटिया, अनिल कुमार कपूर और डॉ तापस मुखर्जी को हत्या का अारोपी बनाया गया था. उन पर षडयंत्र के तहत अपहरण करने तथा उनकी हत्या कर साक्ष्य मिटाने के इरादे से लाश ठिकाने लगाने का आरोप लगाया गया था. प्राथमिकी के छह वर्ष बाद मामले को वर्ष 1996 सेशन कोर्ट सुनवाई के लिए भेजा गया़ वहां 20 वर्ष से गवाही पर अटका हुआ था़.

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