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गांवों में ढंग से नहीं बन रहे शौचालय

रांची: स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण इलाके में बन रहे शौचालय की गुणवत्ता कई जगहों पर बेहतर नहीं है. ग्रामीणों की उदासीनता तथा निर्माण कार्य में लगे लोगों की लापरवाही से स्वच्छता से जुड़ा यह काम मापदंडों के अनुरूप नहीं हो रहा है. रांची जिले के सिल्ली प्रखंड के बिसरिया पंचायत में तो ग्रामीणों […]

रांची: स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण इलाके में बन रहे शौचालय की गुणवत्ता कई जगहों पर बेहतर नहीं है. ग्रामीणों की उदासीनता तथा निर्माण कार्य में लगे लोगों की लापरवाही से स्वच्छता से जुड़ा यह काम मापदंडों के अनुरूप नहीं हो रहा है. रांची जिले के सिल्ली प्रखंड के बिसरिया पंचायत में तो ग्रामीणों ने ऐसे शौचालय के इस्तेमाल से ही इनकार कर दिया है. उन्होंने प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीअो) सिल्ली से इस बात की लिखित शिकायत की है कि मुखिया गोपाल सिंह मुंडा तथा जल सहिया वीणा देवी व सानिया परवीन गांव में शौचालय ठीक से नहीं बना रहे.
निर्माण सामग्री की गुणवत्ता ठीक नहीं
निर्माण में सीमेंट, पाइप, दरवाजा व अन्य सामग्री मापदंड के अनुरूप इस्तेमाल नहीं हो रही है. एक शौचालय का दरवाजा लगने के बाद ही टूट गया. वहीं, कई शौचालय का सेप्टिक टैंक ही नहीं बनाये गये हैं. शौचालय को बाहर से प्लास्टर भी नहीं किया जा रहा है. इस कारण निर्मित शौचालयों का इस्तेमाल पंचायत के विभिन्न गांवों बिसरिया, कुटाम, अोमुरकोड़ा. कुतरु, कुतरु मोवाडीह व कुच्चू के ग्रामीण नहीं कर पा रहे हैं. इस मामले में जांच कर दोषियों पर कार्रवाई का आग्रह बीडीअो से किया गया है. वहीं, इसकी प्रतिलिपि उपायुक्त, उप विकास आयुक्त तथा एसडीअो को भी दी गयी है.
प्रति शौचालय 12 हजार दे रही सरकार
सरकार निर्माण के लिए प्रति शौचालय 12 हजार रुपये उपलब्ध करा रही है. यह अनुदान राशि है तथा सक्षम लाभुकों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी अोर से भी आर्थिक सहयोग कर बेहतर शौचालय बनायें. पर यहां तो 12 हजार रुपये का भी उचित इस्तेमाल नहीं हो रहा है. खुले में शौच का संबंध बच्चों की मौत, इनकी कम वृद्धि (नाटेपन) व कम वजन होने से है. वहीं, महिलाओं के प्रति अपराध से भी. खुले में शौच से भोजन व पानी मक्खियों व अन्य माध्यम से दूषित हो जाते हैं, जो डायरिया व अन्य बीमारियों सहित उपरोक्त का कारण बनते हैं. इन्हीं कारणों से स्वच्छ भारत मिशन का संचालन हो रहा है.

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