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खादी बोर्ड: जयनंदू के कार्यकाल का ऑडिट, हुआ खुलासा 37 दिन के नाश्ते पर 3.80 लाख का खर्च

रांची : झारखंड राज्य खादी बोर्ड में पूर्व अध्यक्ष जयनंदू के कार्यकाल में 37 दिनों में नाश्ते और फल पर 3.80 लाख रुपये खर्च किये गये. खादी के विकास के लिए सरकार से मिली अनुदान राशि में से 3.87 करोड़ रुपये स्थापना मद पर खर्च कर दिये गये. वहीं, खाता-बही में गलत आंकड़ा दर्ज कर […]

रांची : झारखंड राज्य खादी बोर्ड में पूर्व अध्यक्ष जयनंदू के कार्यकाल में 37 दिनों में नाश्ते और फल पर 3.80 लाख रुपये खर्च किये गये. खादी के विकास के लिए सरकार से मिली अनुदान राशि में से 3.87 करोड़ रुपये स्थापना मद पर खर्च कर दिये गये. वहीं, खाता-बही में गलत आंकड़ा दर्ज कर 1.51 करोड़ के नुकसान को 95.68 लाख रुपये की आमदनी दिखायी गयी.

राज्य सरकार के अनुरोध पर खादी बोर्ड की विशेष ऑडिट के दौरान मामला पकड़ में आया. प्रधान महालेखाकार ने अपनी विशेष ऑडिट रिपोर्ट सरकार को भेज दी है. रिपोर्ट में कहा गया है केंद्रीय वस्त्रागार रांची के खातों की ऑडिट में पाया गया कि 37 दिनों में नाश्ता, फल आदि पर 3.80 लाख रुपये खर्च किये गये हैं. नाश्ते और फलों का इंतजाम किन अवसरों पर किसके लिए किया गया, इसका कोई उल्लेख नहीं है.

नाश्ता और फल आदि के भुगतान के लिए इस्तेमाल किये गये वाउचर पर प्रतिष्ठान और आपूर्तिकर्ता का नाम भी नहीं लिखा है. वाउचर पर सीरियल नंबर भी नहीं है. नाश्ता और फलों की खरीद के लिए स्वीकृति भी नहीं ली गयी है. नवंबर 2012 में छह दिन, दिसंबर 2012 में पांच दिन, जनवरी 2013 में छह दिन, फरवरी 2013 में नौ दिन और मार्च 2013 में 11 दिन नाश्ते और फलों की खरीद की गयी.

बिना टेंडर के ही पार्क निर्माण का काम दिया : रिपोर्ट में कहा गया है कि बिना टेंडर के ही बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ने मनोनयन के आधार पर बीएसएनएल को पार्क निर्माण का काम दिया. इसके लिए बीएसएनएल को एजेंसी चार्ज के रूप में कुल लागत का 9.6 प्रतिशत देने का फैसला किया गया. बीएसएनएल ने मार्च 2014 में जमशेदपुर की मेसर्स पर्ल कंस्ट्रक्शन कंपनी को पार्क निर्माण का काम दे दिया. इस कंपनी को 1.66 करोड़ की लागत पर 16 महीने में काम को पूरा करना था. पर काम अब भी अधूरा है. पार्क के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि दीवारों में दरारें पड़ गयी हैं और छत टपक रहा है.

सिलाई मशीन का पता नहीं : रिपोर्ट में शिल्पी रोजगार योजना के तहत प्रशिक्षण देने के बाद अनुदान पर मशीन उपकरण देने के उद्देश्य से 149 सिलाई मशीन खरीदी गयी. प्रशिक्षण सिर्फ 58 को ही दिया गया. शेष मशीनों का क्या हुआ पता नहीं. रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं की चर्चा करते हुए कहा गया है कि खाता-बही में गलत आंकड़ों के सहारे 95.68 लाख रुपये का मुनाफा दिखाया गया. जबकि बोर्ड को 1.51 करोड़ का नुकसान हुआ था. बोर्ड ने सरकार की अनुमति के बिना ही अपने स्तर से खादी विकास के लिए मिली राशि में से 3.87 करोड़ रुपये स्थापना मद में खर्च कर लिया था. सरकार ने वर्ष 2012-13 में मेला के आयोजन के लिए 42 लाख रुपये दिये. 2012-13 में मेला का आयोजन करने के बदले इस राशि में से 13.19 लाख रुपये का खर्च वर्ष 2010-11 और 2011-12 के मेले पर दिखाया गया.

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