घटना के एक सप्ताह के भीतर पुलिस की अनुशंसा पर सरकार ने टाइगर सेना को प्रतिबंधित संगठन घोषित करने का आदेश जारी किया था. जानकारी के मुताबिक एक अक्तूबर को पुलिस ने विधायक निर्मला देवी को धरना स्थल से गिरफ्तार किया था. जिसके बाद उपद्रवियों ने पुलिस पर हमला कर दिया और विधायक को छुड़ा लिया. पुलिस फायरिंग में चार ग्रामीणों की मौत हो गयी थी और एएसपी अभियान कुलदीप कुमार, सीओ समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गये थे. एक अक्तूबर को पुलिस मुख्यालय के तत्कालीन प्रवक्ता आइजी एमएस भाटिया ने एक प्रेस बयान जारी किया था. जिसके तीसरे पारा की तीसरी लाइन में कहा गया था कि भीड़ में योगेंद्र साव द्वारा संचालित टाइगर सेना के सदस्य भी मौजूद थे, जो लाठी-डंडा एवं पारंपरिक हथियार से लैस थे. उस भीड़ ने पहले विधायक को छुड़ाया, फिर पुलिस पर हमला कर दिया व वाहनों में तोड़-फोड़ की. एएसपी कुलदीप कुमार के बयान पर पुलिस ने दो अक्तूबर को 228/2016 केस दर्ज किया था. प्राथमिकी में भी पुलिस ने टाइगर सेना का नाम नहीं लिखा है.
एनटीपीसी के अधिकारी व त्रिवेणी सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अधिकारियों ने अपने बयान में योगेंद्र साव व निर्मला देवी पर अपने पुत्र अंकित राज की कंपनी को काम देने के लिए पत्र लिखने व दबाव बनाने के लिए आंदोलन कर काम रोकने की बात कही है. टाइगर सेना के द्वारा धमकी दिये जाने या काम रोकने का जिक्र नहीं किया है. केस डायरी के क्रमांक 122वें में अनुसंधानक ने दो मई 2016 को बड़कागांव थाना में दर्ज स्टेशन डायरी का जिक्र किया है. इसमें भी टाइगर सेना का नाम कहीं दर्ज नहीं है.