रांचीः पेड न्यूज लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है. मीडिया के माध्यम से मुट्ठी भर कॉरपोरेट घराने रुपयों का उपयोग कर जनता की राय को प्रभावित कर सकते हैं. मीडिया खुद को नियंत्रित करने में असफल साबित हुई है. मीडिया को नियंत्रित और संचालित करने के लिए प्रभावी कानून बनाया जाना चाहिए. चुनाव में मीडिया की भूमिका पर विमर्श के लिए जुटे अखबार और सोशल मीडिया से जुड़े लोगों ने उक्त विचार व्यक्त किये.
मोरहाबादी स्थित आर्यभट्ट सभागार में इलेक्शन वाच व एडीआर के राष्ट्रीय कांफ्रेंस के अंतिम दिन रविवार को मीडिया की भूमिका पर विचार-विमर्श हुआ. इसमें वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र और अनुज कुमार सिन्हा के अलावा सीएसडीएस के विपुल मुदगल, यूथ की आवाज की तान्या सिंह व गूगल के रमनजीत चीमा ने शिरकत की. अध्यक्षता डॉ अजीत रानाडे ने की. वक्ताओं ने बताया कि चुनाव की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में इंटरनेट की भूमिका महत्वपूर्ण है. वोटरों की जवाबदेही और इंटरनेट के इस्तेमाल से चुनाव की प्रक्रिया को बेहतर बनाया जा सकता है. कांफ्रेंस के दूसरे सत्र में चुनाव सुधारों के लिए लंबित कार्यो पर चर्चा की गयी. प्रो जगदीप चौकर की अध्यक्षता में हुए इस सत्र के पेनलिस्ट विधि आयोग के सदस्य आर वेंकटरमानी, पूर्व सूचना आयुक्त एमएल शर्मा, न्यायमूर्ति विक्रमादित्य प्रसाद और सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील कामिनी जायसवाल थीं.
वक्ताओं ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए एक ट्रिब्यूनल के गठन का सुझाव दिया. यह ट्रिब्यूनल चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग कर उन्हें चुनाव में खड़े होने की अनुमति दे. इससे आपराधिक और गलत चरित्र के प्रत्याशी चुनाव में उम्मीदवार नहीं हो सकेंगे. अदालतों में लंबित चुनाव से संबंधी मामलों की अलग मॉनिटरिंग की व्यवस्था करने का सुझाव भी दिया गया. पैनल ने गंभीर अपराध का आरोप ङोल रहे लोगों को भी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किये जाने की वकालत की. तीन दिनों तक चले सम्मेलन में 600 से अधिक लोगों ने दागी उम्मीदवारों को वोट नहीं देने और किसी प्रलोभन में आकर अपना वोट नहीं देने की शपथ ली. शपथ पत्र पर हस्ताक्षर भी किये.