21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हर रोज दो करोड़ के नोट खपा रहे टीपीसी उग्रवादी

उग्रवादी संगठनों के लिए लेवी के रूप में वसूली गयी राशि मुसीबत बन गयी है. वे इसे खपाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं‍. टीपीसी ने इसके लिए ट्रक, डंपर व हाइवा मालिकों को जरिया बनाया है. संगठन की योजना बाद में ट्रांसपोर्टरों से नये नोट ले लेने की है. रांची: चतरा के […]

उग्रवादी संगठनों के लिए लेवी के रूप में वसूली गयी राशि मुसीबत बन गयी है. वे इसे खपाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं‍. टीपीसी ने इसके लिए ट्रक, डंपर व हाइवा मालिकों को जरिया बनाया है. संगठन की योजना बाद में ट्रांसपोर्टरों से नये नोट ले लेने की है.
रांची: चतरा के टंडवा-पिपरवार में टीपीसी संगठन के लोग हर दिन करीब दो करोड़ रुपये मूल्य के 500 व 1000 के नोट खपाने में जुटा हुआ है. लेवी के रूप में पहले से वसूली गयी राशि को खपाने के लिए संगठन के उग्रवादियों ने ट्रक, डंपर व हाइवा मालिकों को जरिया बनाया है. जो नोट खपाये जा रहे हैं, उनमें से कुछ में स्टैपल लगा हुआ है. गौर करनेवाली बात है कि आरबीआइ ने कई साल पहले नोट को स्टैपल करने पर रोक लगा दी थी. मतलब जो नोट चलाये जा रहे हैं, वह पहले के हैं. उल्लेखनीय है कि पहले की कई रिपोर्ट्स में यह कहा गया है कि टंडवा इलाके के आम्रपाली व मगध कोल परियोजना में ट्रांसपोर्टिंग के धंधे पर टीपीसी का दबदबा है.

ट्रांसपोर्टिंग के कारोबार से जुड़े लोगों ने जानकारी दी है कि आम्रपाली व मगध कोल परियोजना में हर दिन करीब 750 से अधिक ट्रक, 650 से अधिक डंपर और 80 से अधिक हाइवा कोयला ट्रांसपोर्ट करने के काम में लगे हुए हैं. एक ट्रक एक दिन में एक बार कोयला को रेलवे साइडिंग तक पहुंचाता है और एक डंपर हर दिन दो बार उठाव करता है. ट्रक पर 20 टन कोयला लोड होता है, जबकि डंपर पर 15 टन. ट्रक पर कोयला उठाव करने की दर प्रति टन 650 रुपये है, जबकि डंपर पर उठाव करने की दर प्रति टन 450 रुपये है. इस तरह हर दिन एक ट्रक मालिक को भाड़े के रूप में 13 हजार रुपये मिलते हैं, जबकि डंपर को एक फेरा के लिए 6,750 रुपये और दो फेरे में 13,500 रुपये. इस तरह हर दिन 750 ट्रकों के मालिक को 97.50 लाख और 650 डंपर के मालिकों को 87.75 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है. सभी तरह के भुगतान 1000 और 500 के नोट में किये जा रहे हैं. इसके अलावा हाइवा के लिए भी हर दिन करीब 16-20 लाख रुपये का भुगतान किया जा रहा है. इतना ही नहीं मजदूरों को भी 1000 या 500 रुपये के नोट ही दिये जा रहे हैं. इस तरह हर दिन करीब दो करोड़ रुपये मूल्य के 1000 व 500 के नोट चलाये जा रहे हैं. टीपीसी संगठन की योजना है कि बाद में ट्रांसपोर्टर से नये नोट ले लिये जायेंगे.
नक्सलियों व उग्रवादियों के काले धन पर जांच एजेंसी रखेगी नजर

नक्सलियों के धन पर नजर रखने के लिए एजेंसियों की उच्च स्तरीय बैठक
रांची: नक्सलियों व उग्रवादियों के धन पर नजर रखने के लिए मंगलवार को जांच एजेंसियों के अधिकारियों की बैठक हुई. इस दौरान नक्सलियों व उग्रवादियों का काला धन बैंकों में जमा कराने या बदलवाने में शामिल लोगों पर नजर रखने का फैसला किया गया. केंद्र सरकार ने उग्रवादियों व नक्सलियों के आर्थिक स्रोतों पर नजर रखने और उसे समाप्त करने के उद्देश्य से मल्टी डिसिप्लिनरी ग्रुप का गठन किया था. इसमें सीबीआइ, इडी, सीआइबी और सीआइडी के उच्चाधिकारियों को शामिल किया गया है.

इस ग्रुप की पहली बैठक जून 2016 के अंतिम सप्ताह में रांची में हुई थी. दूसरी बैठक 15 नवंबर को हुई. इसमें केंद्र सरकार द्वारा 500-1000 के नोटों के रद्द किये जाने के बाद नक्सलियों व उग्रवादियों द्वारा जमा कराये गये काले धन को सफेद करने की कोशिशों पर चर्चा हुई.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें