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इइएफ और हाइटेंशन फैक्टरी का मामला: 200 कर्मचािरयों को पेंशन नहीं

रांची: इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट फैक्टरी (इइएफ), टाटीसिलवे तथा हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी (एचटीआइएफ), सामलौंग के दो सौ से अधिक सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है. ये वैसे कर्मचारी हैं, जो जनवरी-1971 के पहले से कार्यरत रहे हैं. ऐसे कर्मचारियों ने वृद्धावस्था में अपनी सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री व केंद्रीय श्रम मंत्री से […]

रांची: इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट फैक्टरी (इइएफ), टाटीसिलवे तथा हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी (एचटीआइएफ), सामलौंग के दो सौ से अधिक सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है. ये वैसे कर्मचारी हैं, जो जनवरी-1971 के पहले से कार्यरत रहे हैं. ऐसे कर्मचारियों ने वृद्धावस्था में अपनी सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री व केंद्रीय श्रम मंत्री से गुहार लगायी है.

कर्मचारियों की तरफ से इइएफ-एचटीआइएफ सेवानिवृत्त कर्मचारी एसोसिएशन के महासचिव श्याम सुंदर प्रसाद ने यह पत्र लिखा है. इसके बाद पीएमअो ने झारखंड सरकार के श्रम विभाग को मामले पर कार्रवाई करने को कहा है. वहीं विभाग ने पीएमअो के पत्र का हवाला देते हुए क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त को 14 अक्तूबर को पत्र लिखकर सप्ताह भर में कार्रवाई कर विभाग को अवगत कराने को कहा है.
क्या है मामला
दरअसल सरकार ने जनवरी 1971 से पारिवारिक पेंशन योजना (फैमिली पेंशन स्कीम) लागू किया था. यह उन्हीं कर्मचारियों पर लागू था, जो जनवरी 1971 के बाद से कार्यरत हैं. दो सौ से अधिक कर्मचारी उक्त समय के पहले से कार्यरत थे. इसलिए इन्हें फैमिली पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा था. सरकार ने 16 नवंबर 1995 से फैमिली पेंशन खत्म कर दी तथा इसके स्थान पर सबके लिए कर्मचारी पेंशन योजना शुरू की. पर इइएफ व हाइटेंशन में 1993 से ही वेतन मिलना बंद हो गया था. ऐसे में कर्मचारियों का पीएफ कटना भी बंद हो गया. इसलिए नवंबर 1995 के बाद सेवानिवृत्त होनेवाले उक्त कर्मचारियों को कर्मचारी पेंशन योजना का भी लाभ नहीं मिल रहा है. यही नहीं 1971 के बाद से कार्यरत रहे करीब तीन सौ सेवानिवृत्त कर्मचारी, जो पहले फैमिली पेंशन तथा बाद में इंप्लॉय पेंशन स्कीम के तहत पेंशन पा रहे हैं, उन्हें भी पीएफ मद में कर्मचारी व कंपनी का अंशदान न होने से कम पेंशन मिल रहा है.
हमारा क्या दोष
एसोसिएशन के महासचिव ने प्रधानमंत्री को लिखा है कि हमें 1993 से वेतन मिलना बंद हो गया तथा कंपनी प्रबंधन ने पीएफ मद में अपना अंशदान भी नहीं किया. इसमें हमारा क्या कुसूर है? क्या यह मामला पीएफ एक्ट का उल्लंघन नहीं है? यदि है, तो दोषियों पर क्या कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? श्री प्रसाद ने लिखा है कि बुढ़ापे में पेंशन भी न मिलने से सेवानिवृत्त कर्मचारियों का जीवन ज्यादा कष्टमय हो गया है.

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