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घोषणा. मुख्यमंत्री रघुवर दास भैयादूज पर राज्य की बहनों को देंगे तोहफा, एक से गैस सिलेंडर के साथ मुफ्त चूल्हा भी

जमशेदपुर: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भैया दूज के मौके पर राज्य की बहनों के लिए नायाब तोहफा देने का फैसला लिया है. केंद्र सरकार की उज्जवला योजना के तहत गरीबों को मुफ्त गैस सिलेंडर देने की योजना को और आकर्षक बनाते हुए उन्होंने घोषणा की है कि सारी महिलाओं को मुफ्त में गैस चूल्हा और […]

जमशेदपुर: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भैया दूज के मौके पर राज्य की बहनों के लिए नायाब तोहफा देने का फैसला लिया है. केंद्र सरकार की उज्जवला योजना के तहत गरीबों को मुफ्त गैस सिलेंडर देने की योजना को और आकर्षक बनाते हुए उन्होंने घोषणा की है कि सारी महिलाओं को मुफ्त में गैस चूल्हा और लाइटर भी दिया जायेगा, ताकि महिलाओं को चूल्हा जलाने में दिक्कत नहीं हो और पर्यावरण का भी संरक्षण हो सके.

इस पर राज्य सरकार पर करीब 400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ने जा रहा है, जिसका वहन राज्य सरकार खुद करेगी. श्री दास ने शनिवार को भाजपा के सीतारामडेरा मंडल की कार्यसमिति की बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह 38 लाख घरों तक बिजली पहुंचानी है, 16100 किलोमीटर सड़क का होगा निर्माण मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सीतारामडेरा मंडल कार्यसमिति की बैठक में कहा कि राज्य में करीब 68 लाख घर हैं, जहां तक बिजली नहीं पहुंच पायी थी. अभी भी 38 लाख मकानों तक बिजली नहीं पहुंच पायी है. आनेवाले दिनों में सरकार का 38 लाख घरों तक बिजली पहुंचाना लक्ष्य है़ पानी की किल्लत को भी दूर करने परकाम हो रहा है़ उन्होंने बताया कि करीब तीन हजार किलोमीटर तक की सड़क इस वित्तीय वर्ष में हम लोग बनाने जा रहे हैं. तीन साल में हम लोगों का लक्ष्य है कि 16100 किलोमीटर तक की सड़क का निर्माण कर दिया जाये़.

बीपीएल के दाखिले के साथ ही स्कूलों को मिल जायेगा पैसा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राइट टू एजुकेशन के तहत बीपीएल परिवार का फीस सरकार को देना है. कई स्कूलों को पैसे नहीं मिलने की शिकायतें मिली है. इन सारी शिकायतों को दूर की जायेगी और लोगों को तत्काल सुविधा मिले, इसकी कोशिश की जायेगी.
आदिवासी समाज के लोग संस्कृति -सभ्यता नहीं खोयें, राजनीति में नहीं फंसे
मुख्यमंत्री ने हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शन व हंगामा करने वालों को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की पहचान उनकी संस्कृति, उनके गीत-संगीत, मांदर से है़ इसे देखने के लिए हमलोग बचपन से उरांव बस्ती आते थे. कुछ लोग इस सशक्त भाषा, संस्कृति को छीनना चाहते हैं, ऐसे तत्वों से सावधान रहने की जरूरत है. आदिवासी समाज राजनीति में नहीं फंसे और अपनी पहचान बचाये रखे.

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