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कैदियों की रिहाई के मामले में हाइकोर्ट ने पूछा रिहाई के लिए क्या है गाइड लाइन

रांची: जेलों में लंबे समय से आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को रिहा करने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. शुक्रवार को चीफ जस्टिस आर भानुमति व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने सरकार को लंबित मामलों को दो सप्ताह के अंदर निबटाने का निर्देश दिया. […]

रांची: जेलों में लंबे समय से आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को रिहा करने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. शुक्रवार को चीफ जस्टिस आर भानुमति व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने सरकार को लंबित मामलों को दो सप्ताह के अंदर निबटाने का निर्देश दिया. साथ ही शपथ पत्र के माध्यम से स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने को कहा.

खंडपीठ ने पूछा कि कैदियों को रिहा करने के मामले में क्या कोई तय गाइड लाइन है. यदि गाइड लाइन तय है, तो उसे अदालत में प्रस्तुत की जाये. खंडपीठ ने कारा महानिरीक्षक को निर्देश दिया कि वे 14 वर्ष सजा पूरी कर चुके कैदियों से आवेदन लेने की प्रक्रिया स्वयं करें. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से एएजी जयप्रकाश ने खंडपीठ को बताया कि बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार में 40, जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा हजारीबाग में 26, केंद्रीय कारा पलामू में आठ सहित कुल 152 मामले लंबित हैं.

शुक्रवार को राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक बुलायी गयी है. बैठक में 106 मामलों पर विचार होगा. 46 मामले लंबित हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के आलोक में संबंधित अदालत का मंतव्य नहीं मिल पाया है. यह भी बताया गया कि नवंबर 2012 में ही पुनरीक्षण पर्षद की बैठक बुलायी गयी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के बाद पर्षद की बैठक में विलंब हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अदालत का मंतव्य लेना अनिवार्य बना दिया. जेल में कैदियों की भूख हड़ताल समाप्त करा ली गयी है.

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