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श्रम विभाग ने जिसे चुना विधानसभा ने अयोग्य माना

रांची: श्रम विभाग ने विधानसभा में कैंटीन चलाने के लिए जिसका चयन किया, विधानसभा ने उसे 15 दिन में ही अयोग्य घोषित कर दिया. इसके बावजूद उसने करीब छह माह तक कैंटीन चलाया और सरकारी अनुदान लिया. विभाग ने जिसे कैंटीन संचालन के लिए चुना, उसके पास फूड लाइसेंस ही नहीं था. विधानसभा में कैंटीन […]

रांची: श्रम विभाग ने विधानसभा में कैंटीन चलाने के लिए जिसका चयन किया, विधानसभा ने उसे 15 दिन में ही अयोग्य घोषित कर दिया. इसके बावजूद उसने करीब छह माह तक कैंटीन चलाया और सरकारी अनुदान लिया.

विभाग ने जिसे कैंटीन संचालन के लिए चुना, उसके पास फूड लाइसेंस ही नहीं था. विधानसभा में कैंटीन संचालन का मामला शुरू से ही विवादित रहा है. राज्य गठन के बाद से विधानसभा में कैंटीन चलाने के लिए जिन लोगों को नियुक्त किया गया था उनमें से ज्यादातर कर्मचारी विभाग के तत्कालीन अधिकारियों का घरेलू काम करते थे. विधानसभा में इस मुद्दे पर हंगामा होने पर उन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को हटा दिया गया.

वर्ष 2011 में कैंटीन चलाने के लिए निकाला गया टेंडर पर भी विवाद हुआ. इस टेंडर में आशु इंटरप्राइजेज, संतोष कुमार, मेसर्स गौरी कैटरर, मेसर्स हॉट लिप्स और मेसर्स श्वेता इंटरप्राइजेज शामिल हुए. आशु इंटर प्राइजेज ने तकनीकी बिड के लिफाफे पर वित्तीय बिड लिखा, जिसके कारण उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया. शेष चार में श्वेता को एल-वन घोषित किया गया. इस संस्था ने सत्र के दौरान 4.25 लाख रुपये प्रति माह और सामान्य अवधि के लिए 1.25 लाख प्रति माह की दर से अनुदान की मांग की थी. मेसर्स हाट लिप्स ने सत्र की अवधि में 2.60 लाख और सामान्य अवधि के लिए 1.10 लाख प्रति माह की दर से अनुदान की मांग की थी.

संतोष कुमार ने सिर्फ 20 हजार रुपये प्रति माह की दर से अनुदान की मांग की थी. श्रम विभाग ने टेंडर में एल-वन घोषित करने के लिए संस्थाओं द्वारा मांगी गयी अनुदान के बदले लड्डू, गाजा, जलेबी, बर्फी, पूरी-कचौड़ी आदि के प्रस्तावित बिक्री मूल्य को आधार बनाया. इस आधार पर श्वेता इंटर प्राइजेज को एल-वन घोषित किया गया. टेंडर निपटारे के दौरान सभी संस्थाओं के कागजात की जांच कराने की मांग भी की गयी, लेकिन बिना जांच के श्वेता इंटर प्राइजेज को कैंटीन चलाने के लिए 15 दिसंबर 2011 को कार्यादेश दिया गया. 30 दिसंबर को ही विधानसभा के विशेष सचिव ने उसे अयोग्य बताते हुए श्रम विभाग को पत्र लिखा. इसके बाद टेंडर में हिस्सा लेनेवाली दूसरी संस्थाओं ने उससे कम दर पर कैंटीन चलाने का प्रस्ताव दिया, पर विभाग ने उसे अस्वीकार करते हुए नॉमिनेशन कं आधार पर इंडियन काफी वर्कर्स को कैंटीन चलाने का काम सौंप दिया. कैबिनेट ने कैंटीन संचालक पर कई शर्ते लगायीं, पर कैंटीन संचालक और विभाग को कैबिनेट का फैसला मंजूर नहीं है.

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