रांची: कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित कनीय अभियंता के पद पर नियुक्ति परीक्षा में 444 पदों के मुक़ाबले सिर्फ 51 अभ्यर्थी ही सफल हो पाये हैं. इन पदों में 82 बैकलाग पद पूरी तरह रिक्त रह गये हैं, जबकि एसटी के चयन के लिए सिर्फ 32 प्रतिशत अंक ही लाना था. एसएससी द्वारा शुक्रवार को […]
रांची: कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित कनीय अभियंता के पद पर नियुक्ति परीक्षा में 444 पदों के मुक़ाबले सिर्फ 51 अभ्यर्थी ही सफल हो पाये हैं. इन पदों में 82 बैकलाग पद पूरी तरह रिक्त रह गये हैं, जबकि एसटी के चयन के लिए सिर्फ 32 प्रतिशत अंक ही लाना था. एसएससी द्वारा शुक्रवार को घोषित परीक्षा फल के विश्लेषण से ये आंकड़े निकले हैं.
आयोग ने पथ निर्माण, जल संसाधन और पेयजल विभाग में कनीय अभियंताओं के कुल 1092 पदों को भरने के लिए परीक्षा आयोजित की थी. पर सिर्फ 694 ही नियुक्ति के लिए सफल घोषित हो सके हैं. आयोग के आंकड़ाे के अनुसार पथ निर्माण में एसटी के लिए कनीय अभियंता के 55 रिक्त पद थे. इसके मुकाबले सिर्फ 29 ही सफल हुए हैं. जल संसाधन विभाग में एसटी के 265 पदों के मुकाले सिर्फ 18 ही सफल घोषित किये गये हैं.
पेयजल में एसटी के रिक्त छह पदों के मुकाबले चार को नियुक्ति के लिए योग्य घोषित किया गया है. एसटी के सभी 82 पद रिक्त रह गये हैं. जल संसाधन विभाग में एसटी के 35 और पथ निर्माण विभाग के 47 पदों के विरूद्ध किसी का चयन नहीं हो सका है. परीक्षा परिणाम में एसटी के मुकाबले एससी की स्थिति बेहतर है. एससी के लिए कुल 103 पद रिक्त थे. इन पदों के मुकाबले 63 उम्मीदवार सफल घोषित किये गये हैं. इस तरह एससी के सिर्फ 40 ही रिक्त रह गये हैं. जल संसाधन विभाग में एससी के 89 पदों के मुकाबले 61 उम्मीदार सफल घोषित किये गये हैं.
पेयजल के दो रिक्त पदों के मुकाबले दो उम्मीदवार ही सफल हुए हैं. हालांकि एससी के 12 बैकलाग पद खाली रह गये हैं. पिछड़ी जाति(बीसी-वन) के सभी पदों पर योग्य उम्मीदवारों का चयन हुआ है. पथ निर्माण में बीसी-वन के सभी नौ और जल संसाधन के 59 रिक्त पदों पदों के मुकाबले योग्य उम्मीदवार मिले हैं. बीसी-वन के बैकलाग आठ पद भी भर गये हैं.
इधर आदिवासी छात्र संघ ने लगायी गुहार
सीएम 40 एसटी एमबीबीएस सीटों को सरेंडर होने से बचायें
रांची. आदिवासी छात्र संघ ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से आग्रह किया है कि वे अनुसूचित जनजाति के 40 एमबीबीएस सीटों को सरेंडर होने से रोके़ं उन्होंने इस बाबत मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा है़ इसमें कहा गया है कि झारखंड काउंसिलिंग में 12 से 443 रैंक के अभ्यर्थियों को बुलाया गया, लेकिन किसी को भी एमबीबीएस सीट नहीं दी गयी है़ यह सही है कि भारतीय चिकित्सा परिषद के मापदंडों के अनुसार अनुसूचित जनजाति के लिए 40 प्रतिशत अंक पात्रता का आधार है, पर यह तार्किक नहीं है़ अन्य अखिल भारतीय परीक्षाएं जैसे एआइपीएमटी, एम्स, जिंपर, कॉमडेक, अखिल भारतीय इंजीनियरिंग, यूपीएससी, जेपीएससी में ओवरऑल परफॉरमेंस के आधार पर कटऑफ तय किया जाता है़ जेसीइसीई में भी इसी अाधार पर कटऑफ तय हो. इसके पूर्व 2009, 2011 व 2012 में यही समस्या आयी थी, जिसका समाधान मेघाक्रमानुसार खाली सीटों को भरकर किया गया था.