राजधानी के गोस्सनर स्कूल परिसर में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह पहले पारंपरिक व्यवस्था की तर्ज पर काम होते थे, वह अब बदल गया है. श्रीमती श्रीवास्तव ने कहा है कि सरकार भोजन, शिक्षा और बोलने के अधिकार को दबा रही है. सरकार का जितना अंकुश इन योजनाअों पर अब लग रहा है, उसके लिए आंदोलन करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जल अौर जमीन को लेकर लोग अपने कर्तव्यों को भरसक पूरा करना चाहते हैं, पर सरकारी दबिश की वजह से योजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पाती हैं. इससे लोगों को जल, जंगल और जमीन पर उनका अधिकार नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि कुपोषण से महाराष्ट्र में हो रहे बच्चों की मौत पर अभियान चलाने की आवश्यकता है. उन्होंने गाय बचाओ आंदोलन के नाम पर हो रहे अल्पसंख्यकों के हमले पर भी चिंता जतायी.
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रोजी-रोटी पर मंडरा रहा संकट : कविता
रांची: खाद्य सुरक्षा के अधिकार अभियान की संयोजक कविता श्रीवास्तव ने कहा है कि वर्तमान समय में रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है. जिस तरह लोकतंत्र सिकुड़ता जा रहा है, उस व्यवस्था में सरकारी योजनाओं का भी लाभ आम जनता को नहीं मिल रहा है. लोकतांत्रिक व्यवस्था समाप्त होती जा रही है. राजधानी के गोस्सनर […]
रांची: खाद्य सुरक्षा के अधिकार अभियान की संयोजक कविता श्रीवास्तव ने कहा है कि वर्तमान समय में रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है. जिस तरह लोकतंत्र सिकुड़ता जा रहा है, उस व्यवस्था में सरकारी योजनाओं का भी लाभ आम जनता को नहीं मिल रहा है. लोकतांत्रिक व्यवस्था समाप्त होती जा रही है.
राजधानी के गोस्सनर स्कूल परिसर में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह पहले पारंपरिक व्यवस्था की तर्ज पर काम होते थे, वह अब बदल गया है. श्रीमती श्रीवास्तव ने कहा है कि सरकार भोजन, शिक्षा और बोलने के अधिकार को दबा रही है. सरकार का जितना अंकुश इन योजनाअों पर अब लग रहा है, उसके लिए आंदोलन करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जल अौर जमीन को लेकर लोग अपने कर्तव्यों को भरसक पूरा करना चाहते हैं, पर सरकारी दबिश की वजह से योजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पाती हैं. इससे लोगों को जल, जंगल और जमीन पर उनका अधिकार नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि कुपोषण से महाराष्ट्र में हो रहे बच्चों की मौत पर अभियान चलाने की आवश्यकता है. उन्होंने गाय बचाओ आंदोलन के नाम पर हो रहे अल्पसंख्यकों के हमले पर भी चिंता जतायी.
सरकार जानबूझ कर परेशान कर रही है : बलराम
सर्वोच्च न्यायालय के आयुक्त के राज्य सलाहकार बलराम ने कहा कि झारखंड में पारंपरिक व्यवस्था धूमिल हो गयी है. संसाधनों की कमी, भ्रष्टाचार और अन्य मामलों के बीच भूख गुम हो गयी है. चंद लोगों को सरकार जानबूझ कर परेशान कर रही है. माय-माटी के तहत लोगों को उनका हक मिलना चाहिए. वर्तमान में योग्य व्यक्ति ही सबसे ज्यादा समाज व अन्य साधनों से घिरा हुआ है. अब समय आ गया है कि लोकतंत्र को मजबूत किया जाये. लोकतंत्र के मजबूत होने से सीमा पर संघर्ष भी थमेगा. राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आंदोलन के संयोजक बेजवाडा विल्सन ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत करोड़ों रुपये खर्च किये जाने को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि आज भी कई जगहों पर मल निकासी का काम लोग कर रहे हैं. इनके पुनर्वास पर कोई काम नहीं हो रहा है. ये लोग स्वच्छता की बुनियादी जरूरत से काफी पीछे हैं.
राशन दुकानों से उचित राशन नहीं मिलता : ज्यां
अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने खाद्य सुरक्षा को आधार से जोड़ने की वकालत की. उन्होंंने कहा कि लाभुकों के खाते में राशि का हस्तांतरण करना ठीक है, पर जन वितरण प्रणाली की दुकानों में लोगों को उचित राशन नहीं मिल पाता है. छत्तीसगढ़ से आयी सोनी सोरी ने बस्तर के आदिवासियों की पीड़ा पर साथ देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि बस्तर में एक नया खेमा बस्तर बटालियन बना है, जो आदिवासियों की हत्या कर रहा है. बगीचा के स्टेन स्वामी ने जल, जंगल और जमीन के सरोकार पर चर्चा की. विकास सहयोग केंद्र के जवाहर मेहता ने झारखंड में खाद्य सुरक्षा की स्थिति पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम के पहले दिन जसिंता बारला ने भी विचार रखे. इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में महाश्वेता देवी, बीडी शर्मा, बीपी केशरी, डॉ रामदयाल मुंडा, विनोद रैना और कुमुद सिन्हा की स्मृति में दो मिनट का मौन भी रखा गया.
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