रांंची: झारखंड हाइकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि निजी स्कूलों ने व्यवसाय का रूप ले लिया है. जनहित में फीस बढ़ोतरी के लिए नियम बनाने होंगे. हाइकोर्ट में बुधवार को निजी स्कूलों में मनमाने तरीके से फीस वृद्धि को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने निजी स्कूलों में फीस तय की नियमावली को लेकर एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है.
सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीएन उपाध्याय इसके अध्यक्ष बनाये गये हैं. समिति में जेवीएम श्यामली के पूर्व प्राचार्य डीआर सिंह व चार्टर्ड एकाउंटेंट राजीव कमल बिटू को सदस्य बनाया. कोर्ट ने समिति को चार माह में रिपोर्ट साैंपने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि एक सिटिंग के लिए समिति के अध्यक्ष को 35,000 रुपये व सदस्यों को दस-दस हजार रुपये भुगतान किया जायेगा.
सरकार का पक्ष : इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता राजेश कुमार ने पक्ष रखा. खंडपीठ को बताया गया कि इंजीनियरिंग या दूसरे तकनीकी संस्थानों में नामांकन कराना कठिन नहीं रह गया है. लेकिन निजी स्कूलों में बच्चों का नामांकन कराना दुरूह हो गया है. नामांकन कराने के लिए अभिभावकों को स्कूल प्रबंधन दाैड़ाता है. स्कूलों में मनमाने ढंग से शुल्क बढ़ोतरी को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.