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आदिवासी समाज को करना होगा संघर्ष : दयामनी
रांची : सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बरला ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट के रहते हुए ही झारखंड में एचइसी, बोकारो, टाटा में विशाल कारखाने लगे. अस्पताल, संस्थान अौर सड़कें बनी. आज एक्ट में संशोधन यह कह कर किया जा रहा है कि इससे आदिवासियों का विकास होगा. आदिवासी मूलवासियों सभी को एक होकर एक्ट में संशोधन […]
रांची : सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बरला ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट के रहते हुए ही झारखंड में एचइसी, बोकारो, टाटा में विशाल कारखाने लगे. अस्पताल, संस्थान अौर सड़कें बनी. आज एक्ट में संशोधन यह कह कर किया जा रहा है कि इससे आदिवासियों का विकास होगा. आदिवासी मूलवासियों सभी को एक होकर एक्ट में संशोधन के खिलाफ संघर्ष करना होगा.
दयामनी बरला रविवार को झारखंड एडवोकेट्स एसोसिएशन द्वारा एसडीसी सभागार में आयोजित सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन विषयक सेमिनार में बोल रहीं थीं. मौके पर पूर्व महाधिवक्ता सौहेल अनवर ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट को सिर्फ आदिवासियों के साथ जोड़ कर देखना गलत होगा. इस एक्ट को कभी भी पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका. लगातार इसका उल्लंघन किया जाता रहा है. इससे पूर्व एडवोक्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मुमताज खान ने सेमिनार की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि लगातार आंदोलन तथा पूर्वजों की कुर्बानी के बाद सीएनटी एक्ट बना.
पर आज इस कानून की धज्जियां उड़ायी जा रही है. सीएनटी एक्ट की धारा 46 संविधान के नौंवे शिड्यूल में शामिल है अौर संविधान के अनुच्छेद 13 बी के अनुसार नौंवे शिडयूल में शामिल नियम को अवैध नहीं ठहराया जा सकता है. इसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. सेमिनार में पूर्व विधायक नियेल तिर्की, अधिवक्ता शशधर डे, अधिवक्ता रश्मि कात्यान, टीएसी सदस्य रतन तिर्की सहित अन्य वक्ताअों ने भी विचार रखे.
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