नव निर्माण बिल्डर्स के छह व एक्सेल वेंचर्स के पांच फ्लैट की बिक्री पर भी कोर्ट ने रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने अपील याचिकाअों को विस्तृत सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. मामले की अगली सुनवाई मार्च 2017 के दूसरे सप्ताह में होगी. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस एके गुप्ता की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. खंडपीठ ने वैसे प्रार्थियों के मामले में कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया, जिनके द्वारा कोई कंस्ट्रक्शन नहीं किया गया था. हालांकि, उनकी अोर से दायर अपील याचिकाअों को खंडपीठ ने सुनवाई के लिए स्वाकीर कर लिया.
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ज्वाइंट वेंचर के निर्माण को नियमित करने की अनुशंसा पर रोक
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को आवास बोर्ड व बिल्डरों के बीच हुए ज्वाइंट वेंचर को रद्द करने के मामले में एकल पीठ के आदेश को चुनाैती देनेवाली अपील याचिकाअों पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने उच्चस्तरीय समिति की अनुशंसाअों पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही नव निर्माण बिल्डर्स के आदित्यपुर […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को आवास बोर्ड व बिल्डरों के बीच हुए ज्वाइंट वेंचर को रद्द करने के मामले में एकल पीठ के आदेश को चुनाैती देनेवाली अपील याचिकाअों पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने उच्चस्तरीय समिति की अनुशंसाअों पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही नव निर्माण बिल्डर्स के आदित्यपुर की दिंदली में पांच अौर एक्सेल वेंचर्स के हरमू कॉलोनी रांची स्थित तीन आवासीय ब्लॉक को नियमित करने की अनुशंसा पर भी रोक लग गयी है.
नव निर्माण बिल्डर्स के छह व एक्सेल वेंचर्स के पांच फ्लैट की बिक्री पर भी कोर्ट ने रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने अपील याचिकाअों को विस्तृत सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. मामले की अगली सुनवाई मार्च 2017 के दूसरे सप्ताह में होगी. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस एके गुप्ता की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. खंडपीठ ने वैसे प्रार्थियों के मामले में कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया, जिनके द्वारा कोई कंस्ट्रक्शन नहीं किया गया था. हालांकि, उनकी अोर से दायर अपील याचिकाअों को खंडपीठ ने सुनवाई के लिए स्वाकीर कर लिया.
2011 में बोर्ड और बिल्डरों ने बनाया था ज्वाइंट वेंचर : इससे पहले आवास बोर्ड की अोर से अधिवक्ता सचिन कुमार ने खंडपीठ को बताया कि बोर्ड ने तीन अगस्त 2011 को बोर्ड व बिल्डरों के बीच ज्वाइंट वेंचर के लिए एकरारनामा किया था. बाद में उसे रद्द कर दिया गया. साथ ही बोर्ड ने खाली पड़े जमीन का पोजीशन भी ले लिया था. बिल्डरों ने ज्वाइंट वेंचर एकरारनामा रद्द करने को चुनाैती दी थी. एकल पीठ ने 22 नवंबर 2014 को आदेश पारित किया था. ज्वाइंट वेंचर एकरारनामा करनेवाले जिन बल्ल्डरों ने कोई कंस्ट्रक्शन कार्य नहीं किया था, उनकी याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था. सिर्फ नव निर्माण बिल्डर्स व एक्सेल वेंचर्स के मामले में कोर्ट ने तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति बनाने का आदेश राज्य सरकार को दिया था. उक्त समिति को तीन माह में रिपोर्ट देने को कहा गया था. राज्य सरकार की अोर से अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखा. मालूम हो कि प्रार्थी सिंपलेक्स इफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, मेसर्स एक्सेल वेंचर कंस्ट्रक्शन, मोदी प्रोजेक्टस लिमिटेड, नव निर्माण बिल्डर्स, मेसर्स कमलादित्य कंस्ट्रक्शन प्रालि ने अलग-अलग अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनाैती दी है.
कोर्ट के आदेश पर गठित हुई थी उच्चस्तरीय समिति
ज्वाइंट वेंचर के तहत किये गये निर्माण मामले की जांच के लिए कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित की थी. समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि ज्वाइंट वेंचर में 50:50 प्रतिशत का शेयर होना चाहिए था. शर्तें पूरी करने के बाद फ्लैटों को नियमित किया जा सकता है. आवास बोर्ड का जो शेयर है, वह उचित नहीं है. यदि बिल्डरों के पास फ्लैट नहीं बचे हैं, तो रांची में 3500 रुपये प्रति वर्ग फीट व आदित्यपुर में 3000 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से शेष शेयर वसूला जाना चाहिए.
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