रांची: वन विभाग के कई प्रमंडलों के कर्मचारियों को बायोमिट्रिक हाजिरी के चक्कर में वेतन नहीं मिल रहा है. उपायुक्त के आदेश के बाद कई जिलों में छह माह से, जबकि कुछ जिलों में दो-तीन माह से वेतन बंद है. कई जिलों में तो वनकर्मियों ने उपायुक्त के साथ-साथ विभागीय अधिकारियों से भी गुहार लगायी […]
रांची: वन विभाग के कई प्रमंडलों के कर्मचारियों को बायोमिट्रिक हाजिरी के चक्कर में वेतन नहीं मिल रहा है. उपायुक्त के आदेश के बाद कई जिलों में छह माह से, जबकि कुछ जिलों में दो-तीन माह से वेतन बंद है. कई जिलों में तो वनकर्मियों ने उपायुक्त के साथ-साथ विभागीय अधिकारियों से भी गुहार लगायी है. कुछ रेंजर अपना मुख्यालय छोड़ जिला स्तरीय कार्यालय में उपस्थिति बनाने आ रहे हैं.
वन विभाग के मेदनीनगर, हजारीबाग के साथ-साथ संथाल के कुछ प्रमंडलों में वन विभाग के रेंजर, वनपाल और वनरक्षियों को वेतन नहीं मिल रहा है. ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों की संख्या दो सौ के करीब है. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कई रेंज को बायोमिट्रिक मशीन खरीदने के लिए अब तक आवंटन ही नहीं मिला है. वहीं कोडरमा के एक रेंजर का वेतन सितंबर 2015 से रोक दिया गया है. इसकी शिकायत रेंजर ने विभागीय सचिव और पीसीसीएफ से की है. उन्होंने शिकायत पत्र में कहा है कि उनके रेंज में बायोमिट्रिक मशीन खरीदने के लिए आवंटन नहीं है.
उपायुक्त ने बिना बायोमिट्रिक उपस्थिति के वेतन देने से मना कर दिया है. मेदनीनगर प्रमंडल के रेंजर आनंद कुमार ने भी उपायुक्त से आग्रह किया है कि उनका वेतन जारी किया जाये. उपायुक्त से कहा है कि वन विभाग के कर्मियों की सेवा भी पुलिस की तरह है. कई रेंज में बिजली नहीं है. कई रेंज जंगल में हैं. सेवा 23 घंटे की है. ऐसे में वेतन रोकना ठीक नहीं होगा.
चतरा ने मुक्त किया
चतरा जिले ने वहां के वन विभाग के कर्मियों के आग्रह पर बायोमिट्रिक हाजिरी के अाधार पर वेतन निकासी से मुक्त कर दिया है. वहां के कर्मियों ने उपायुक्त से आग्रह किया था कि बायोमिट्रिक के कारण काम पर असर पड़ता है. काम के सिलसिले में फील्ड में रहना पड़ता है. इससे समय पर उपस्थिति दर्ज करना प्रतिदिन संभव नहीं है. इसके बाद उपायुक्त ने वहां के वन विभाग के कर्मियों को इससे मुक्त कर दिया है.