रांची:राज्य सरकार द्वारा जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से वर्ष 2017 से स्कूली पाठ्यक्रम में डायन-बिसाही व मानव तस्करी को एक चैप्टर के रूप में शामिल किया जायेगा. इस ज्वलंत मुद्दे पर स्कूलों में बच्चों को पढ़ाया जायेगा. तीन माह का एक्शन प्लान तैयार किया गया है. इस दाैरान लोगों को जागरूक करने का काम किया जायेगा. एक जुलाई को झालसा के सदस्य सचिव व कल्याण सचिव की बैठक में एक्शन प्लान तैयार किया गया.
प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से प्रचार-प्रसार किया जायेगा. उक्त जानकारी राज्य सरकार की अोर से झारखंड हाइकोर्ट को शपथ पत्र दायर कर दी गयी. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार के जवाब को देखते हुए नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने सिर्फ तीन माह का एक्शन प्लान बनाया है. उसे जमीन पर उतारना शुरू भी नहीं किया है.
तीन माह के बाद क्या होगा. इसकी जानकारी नहीं दी गयी है. खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जो एक्शन प्लान बनाया गया है, वह सिर्फ फाइलों में सिमट कर नहीं रह जाये. उसे ग्रास रूट पर उतारा जाये आैर डायन-बिसाही के मुद्दे पर लोगों को जागरूक किया जाये. लोगों में फैले अंधविश्वास को खत्म किया जाये.
खंडपीठ ने राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई अक्तूबर माह में होगी. प्रार्थी की अोर से एमीकस क्यूरी अधिवक्ता सुचित्रा पांडेय ने पक्ष रखा, जबकि राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता राजीव रंजन मिश्रा ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि डायन-बिसाही के नाम पर झारखंड में होनेवाली घटनाअों को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.