रिपोर्ट में कहा गया है कि तोपचांची थाने में दर्ज प्राथमिकी(98/16) में लिखा गया समय, मवेशी से लदे गाड़ियों की जगह और लाइन तोड़ कर भागने की बात विरोधाभासी है. गोली कांड की घटना वैसी नहीं है, जैसी प्राथमिकी में दिखायी गयी है. उमेश कच्छप गोली चलनेवाली जगह पर उपस्थित नहीं थे. गोली चलने की घटना राजगंज थाना क्षेत्र के समीप हुई थी. इसके बावजूद एसएसपी और एसडीपीओ(बाघमारा) द्वारा दबाव देकर तोपचांची थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इससे उमेश कच्छप काफी मानसिक दबाव में थे.
अखबारों में छपी खबर के आधार पर एसपी द्वारा पूछे गये स्पष्टीकरण से भी तनाव में थे. सीआइडी और स्पेशल ब्रांच ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि गोलीकांड का अनुसंधानकर्ता बनाये जाने और स्पष्टीकरण पूछे जाने की वजह से उमेश कच्छप मानसिक दबाव में थे. उनके द्वारा स्पष्टीकरण का लिखा हुआ जवाब आधा अधूरा पाया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि इंस्पेक्टर धीरेंद्र कुमार मिश्रा और डीएसपी मनजरुल होदा के बयान से यह स्पष्ट होता है कि गोलीकांड की पूरी जानकारी एसएसपी को थी और वह पल-पल पूरे मामले पर नजर रखे हुए थे.
गृह विभाग ने अपनी रिपोर्ट में इस परिस्थितियों के मद्देनजर तोपचांची थाना कांड संख्या(98/16), राजगंज थाना कांड संख्या (27/16), आत्महत्या के जुड़े तोपचांची थाना कांड संख्या(05/16) के साथ ही विपिन कच्छप द्वारा की गयी लिखित शिकायत की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराये जाने की सलाह दी. जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच सीआइडी को सौंपने और एसपी रैंक के अफसर को जांच अधिकारी बनाने का आदेश जारी किया है.