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अलविदा..अलविदा माहे रमजान

मांगी दुआ. अलविदा जुमे की नमाज में उमड़ी भीड़, सबने मांगी खुशहाली की दुआ रांची : रहमत, बरकत व मगफिरत वाला पाकीजा महीना रमजान अलविदा जुमा के साथ अपने अंतिम पड़ाव में पहुंच गया. अश्कों से नम आंखों ने रब की बारगाह में दुआएं मांगी. इबादत में कमी की कसक से अकीदतमंदों की पलकें भीगी […]

मांगी दुआ. अलविदा जुमे की नमाज में उमड़ी भीड़, सबने मांगी खुशहाली की दुआ
रांची : रहमत, बरकत व मगफिरत वाला पाकीजा महीना रमजान अलविदा जुमा के साथ अपने अंतिम पड़ाव में पहुंच गया. अश्कों से नम आंखों ने रब की बारगाह में दुआएं मांगी. इबादत में कमी की कसक से अकीदतमंदों की पलकें भीगी नजर आयी.
मलाल था कि पता नहीं अगले साल, फिर रमजान का महीना नसीब हो या नहीं. तरावीह का लुुत्फ जल्द छूट जाने का गम था. बज्म-ए-इफ्तार की सजावट और सेहरी की रौनक सब खत्म होनेवाली है. रहमतों का पैगाम और बरकतों का इनाम लानेवाला रमजान जुदा हो रहा है. जुदाई की बेला की तड़प अकीदतमंदों के चेहरे से अयां थी. हर जुबां बस यही कह रहा था…
कल्ब-ए-आशिक है पारा-पारा,
अलविदा-अलविदा माहे रमजां
तेरे आने से दिल खुश हुआ था,
और जौके इबादत बढ़ा था
तेरे दीवाने सब रो रहे हैं,
अब वक्त रुखसत है आया
अलविदा.. अलविदा माहे रमजां
11 महीनों में भी अल्लाह से रिश्ता जोड़ कर रखें
रमजान के हर जुमे की तरह अलविदा जुमे की नमाज में भी नमाजियों की भीड़ उमड़ी़ अपर बाजार स्थित जामा मसजिद में मौलाना सिद्दीक मुजाहिरी ने कहा कि रमजान के मुबारक महीने में अल्लाह तआला की ओर से इनसान में मोहब्बत की इच्छाएं पैदा की जाती है, ताकि दुनिया में अमन व शांति कायम रहे़ यह आनेवाले 11 महीनों के लिए पैगाम देता है कि जिस तरह रमजान का एक महीना मुहब्बत से गुजारा है. अच्छी तरह से इबादत की है, वैसे ही आनेवाले 11 महीनों में भी अल्लाह के साथ रिश्ता जोड़ कर रखे़ दुनिया में दूसरे लोगों के साथ एक मां-बाप की संतान की तरह प्यार व मुहब्बत से रहे़
यदि सभी ने ऐसा किया, तो यह दुनिया अमन व शांति का घर बन जायेगी़ यह हर साल आता है और हमें याद दिलाता है कि एक बार फिर से अमन व शांति की राह पर चलने के लिए खड़े हो जाये़ं यह जरूरी है कि अपने मालिक से रिश्ता जोड़े रखे़ं यानी अल्लाह तआला से संपर्क बना रहे़ सारी कायनात का वही मालिक है़ वही सब कुछ देता और लेता है़ उससे अलग होकर नहीं रह सकते़ अगर कोई रहता है, तो बड़े नुकसान में है़ इस महीने में गरीब,बेवा, बेबस, सबका ख्याल रखने को कहा गया है.
बचे हुए चार दिन भी इनसान को सुधारने के लिए काफी
अंसार नगर स्थित मसजिद-ए-जाफरिया में मौलाना तहजीबुल हसन रिजवी ने कहा कि माह-ए-रमजान के रुखसत होने पर हर मुसलमान के दिल में एक बेचैनी है कि अल्लाह का पवित्र महीना रुखसत हो रहा है़ यदि अभी भी अपनी जिंदगी में सुधार पैदा नहीं किया है, तो बचे हुए चार दिन भी इनसान को सुधारने के लिए काफी है़
आज का दिन यौमे कुत्स का दिन भी है़ आज के ही दिन इजरायल ने दबंगई दिखाते हुए किबला-ए-अव्वल, बैतूल मुक्कदस पर कब्जा किया था़ आज भी बेगुनाह मुसलमानों का खून बहाया जा रहा है, जो इनसानियत के खिलाफ है़ इनसानियत धर्म-मजहब की पाबंद नहीं होती, बल्कि कैरेक्टर की पाबंद होती है़ इस धर्मस्थल को आजाद करना चाहिए, ताकि मुसलमान वहां इबादत कर सके़ं
रमजान ने बनाया नमाज का पाबंद, अब इबादत की ओर ज्यादा ध्यान : अलविदा जुमे की नमाज के बाद कुछ लोगों से बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि रमजान के इस पाक महीने ने उन्हें क्या दिया है, उनमें क्या तबदीलियां आयी है़ं
नमाज का पाबंद हो गया हूं
यह महीना मेरे जीवन में काफी बदलाव लाया है़ नमाज का पाबंद हो गया हू़ं कई बातें, जो नहीं जानता था, वह जान गया़ दूसरों की मदद करने का महत्व समझ में आया है़ काफी सुकून महसूस कर रहा हू़ं वक्त अच्छा गुजर रहा है़
– मो जोहैब अख्तर
अब इबादत की ओर ज्यादा ध्यान है
पहले दुनिया की बातों की ओर ज्यादा ध्यान रहता था, पर आज इबादत की ओर है़ इस महीने अल्लाह ने मुझे बरकत दी है. इस मुबारक महीने में मेरा मकान बन रहाहै़ यह महीना मुहब्बत का पैगाम लाता है और हमें शिक्षा देता है कि हमेशा ऐसा ही रहना है़ मैंने इसे अपने जीवन में उतारा है़
– मो शमीम रजा
इस सुकून को बरकरार रखना चाहता हूं
मुझे प्रेरणा मिली है कि रमजान के बाद भी इसी तरह इनसानियत का पैगाम देना है़ अपनी हैसियत के अनुसार बिना भेदभाव किए दूसरों की मदद करनी है़ तकवा (परहेज) की शिक्षा से गलत बातों से दूरी रखने की हिदायत मिली है़ चाहता हूं कि इन बातों से जो सुकून मिला है, वह हमेशा बरकरार रहे़
-शुजाउद्दीन परवेज
इबादत से सुकून व इत्मिनान मिला
इबादत से सुकून और इत्मिनान मिला है़ वक्त पर नमाज, रोजा, सेहरी और इफ्तार किया. साथ ही तरावीह पढ़ी़ अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगी है़ इस दौरान देश- दुनिया में भाईचारगी, अमन और खुशहाली की दुआ मांगी है़ अभी बहुत सुकून महसूस कर रहा हू़ं
– मो शफीक

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