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पीएलएफआइ सबसे खतरनाक इस साल 21 लोगों की हत्या की
रांची: पिपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) राज्य के चार जिलों खूंटी, गुमला, सिमडेगा व चाईबासा में सक्रिय हैं. रांची के लापुंग और तुपुदाना थाना क्षेत्र में भी इस संगठन की गतिविधि है. आम लोगों को लिए यह उग्रवादी संगठन भाकपा माओवादी या अन्य उग्रवादी संगठनों से ज्यादा खतरनाक हो गया है. यह स्थिति पिछले […]
रांची: पिपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) राज्य के चार जिलों खूंटी, गुमला, सिमडेगा व चाईबासा में सक्रिय हैं. रांची के लापुंग और तुपुदाना थाना क्षेत्र में भी इस संगठन की गतिविधि है. आम लोगों को लिए यह उग्रवादी संगठन भाकपा माओवादी या अन्य उग्रवादी संगठनों से ज्यादा खतरनाक हो गया है.
यह स्थिति पिछले तीन साल से बनी है. वर्ष 2013 में इस संगठन ने 129, वर्ष 2014 में 75 और वर्ष 2015 में 52 घटनाओं को अंजाम दिया. हालांकि अब भी यह संगठन लगातार घटनाओं को अंजाम दे रहा है. 23 जून को इस संगठन ने चाईबासा के सारंडा से भाकपा माओवादियों को खदेड़ने का दावा किया है. नक्सली-उग्रवादी हिंसा में इस साल अब तक 36 आम लोग मारे गये हैं. इसमें से 21 लोगों की हत्या अकेले पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने की है. मई 2016 तक झारखंड में 67 नक्सली-उग्रवादी घटनाओं में से 33 प्रतिशत घटनाओं को पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने अंजाम दिया. भाकपा माओवादी के नक्सलियों द्वारा 36 प्रतिशत घटनाओं को अंजाम दिया गया है.
लगातार चला अभियान, पर नहीं पड़ा असर : पीएलएफआइ के उग्रवादियों को मारने या पकड़ने के लिए झारखंड पुलिस पिछले छह-सात सालों से अभियान चला रही है. डीजीपी डीके पांडेय जब आइजी अभियान थे, तब भी उन्होंने खूंटी में इस संगठन के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया था. वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती के निर्देश पर खूंटी, गुमला व सिमडेगा में कई माह तक पुलिस का अभियान चला. अभियान में हेलीकॉप्टर का भी इस्तेमाल किया गया. जिसके बाद इलाके में पीएलएफआइ की गतिविधि कम हुई. संगठन के सभी उग्रवादी खूंटी छोड़ कर दूसरे जगह चले गये थे, लेकिन वर्ष 2015 के जून-जुलाई माह के बाद संगठन के लोग फिर से वापस लौटे और एक बार फिर से चार जिलों में संगठन का आतंक कायम हो गया है.
राज्य के चार जिलों में सक्रिय हैं पीएलएफआइ
संगठन वर्ष 2014 2015 2016
भाकपा (मा) 36 24 07
टीपीसी 05 03 01
पीएलएफआइ 34 22 21
जेपीसी 01 00 00
एसजेएमएम 01 00 00
जेजेएमपी 01 00 00
कुल 79 52 29
नोट : वर्ष 2016 का आंकड़ा मई माह तक का है.
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