एकरारनामे के अनुसार उसे 6.37 करोड़ की लागत से 13 महीने में जनवरी 2015 तक काम पूरा करना था. वर्क ऑर्डर मिलने के बाद ठेकेदार ने एकरारनामे की शर्तों के अनुसार मशीन खरीदने के लिए और मोबलाइजेशन एडवांस की मांग की. ठेकेदार ने जेसीबी मशीन व अन्य उपकरणों की खरीद के लिए 22 लाख रुपये का कोटेशन जमा किया, पर इंजीनियरों ने ठेकेदार को गलत तरीके से 31.87 लाख रुपये का अग्रिम दे दिया.
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ठेकेदार ने 95 लाख अग्रिम लेकर उग्रवाद के नाम पर काम बंद किया
रांची: ठेकेदार को 6.37 करोड़ रुपये की लागत से लातेहार जिले की कोयल नदी पर उच्च स्तरीय पुल बनाने का काम दिया गया था. सरकार ने कोयल नदी पर 6.38 करोड़ रुपये की लागत से पुल निर्माण की योजना की प्रशासनिक स्वीकृति दी थी. इसके तहत लातेहार-सरयू-कोटमा रोड के 19वें किलोमीटर पर पुल का निर्माण […]
रांची: ठेकेदार को 6.37 करोड़ रुपये की लागत से लातेहार जिले की कोयल नदी पर उच्च स्तरीय पुल बनाने का काम दिया गया था. सरकार ने कोयल नदी पर 6.38 करोड़ रुपये की लागत से पुल निर्माण की योजना की प्रशासनिक स्वीकृति दी थी. इसके तहत लातेहार-सरयू-कोटमा रोड के 19वें किलोमीटर पर पुल का निर्माण किया जाना था. पथ निर्माण द्वारा टेंडर का निबटारा करने के बाद मेसर्स दिनेश कुमार को निर्माण का काम दिया गया.
एकरारनामे के अनुसार उसे 6.37 करोड़ की लागत से 13 महीने में जनवरी 2015 तक काम पूरा करना था. वर्क ऑर्डर मिलने के बाद ठेकेदार ने एकरारनामे की शर्तों के अनुसार मशीन खरीदने के लिए और मोबलाइजेशन एडवांस की मांग की. ठेकेदार ने जेसीबी मशीन व अन्य उपकरणों की खरीद के लिए 22 लाख रुपये का कोटेशन जमा किया, पर इंजीनियरों ने ठेकेदार को गलत तरीके से 31.87 लाख रुपये का अग्रिम दे दिया.
नियम विरुद्ध दिया गया अधिक एडवांस
नियमानुसार किसी भी ठेकेदार को नयी मशीन के लिए 90 प्रतिशत और पुरानी के लिए 50 प्रतिशत अग्रिम देने का प्रावधान है. पर विभाग के इंजीनियरों ने ठेकेदार को मशीन की कुल लागत से अधिक अग्रिम दिया. ठेकेदार की मांग पर उसे काम शुरू करने के लिए 63.50 लाख रुपये बतौर मोबलाइजेशन एडवांस दिया गया. इस तरह इस ठेकेदार को 95.37 लाख रुपये अग्रिम दिया गया. ठेकेदार ने अग्रिम लेने के बाद निर्माण का काम शुरू किया और निर्माण से जुड़े प्रारंभिक काम करने के बाद उग्रवाद के नाम पर काम करना बंद कर दिया. ठेकेदार ने 6.36 करोड़ रुपये की लागत वाले इस पुल के लिए सिर्फ 4.65 लाख रुपये का काम किया. काम बंद करने के बाद से अधीक्षण और कार्यपालक अभियंता ने जनवरी 2016 तक ठेकेदार को काम शुरू करने के लिए पत्र लिखा. पर ठेकेदार ने काम नहीं शुरू किया. इंजीनियरों ने उसे अग्रिम लौटाने के लिए पत्र लिखा. पर उसने अग्रिम भी नहीं लौटाया़.
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