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सरकार जल संरक्षण पर गंभीर
कार्यक्रम. जल संरक्षण पर सेमिनार में बोले सीएम मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि इस वर्ष से गांव का पानी गांव में, खेत का पानी खेत में और शहर का पानी शहर में रहेगा. सरकार को पानी संकट का आभास पहले ही था. इसलिए सरकार ने जल संरक्षण पर काम आरंभ कर दिया है […]
कार्यक्रम. जल संरक्षण पर सेमिनार में बोले सीएम
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि इस वर्ष से गांव का पानी गांव में, खेत का पानी खेत में और शहर का पानी शहर में रहेगा. सरकार को पानी संकट का आभास पहले ही था. इसलिए सरकार ने जल संरक्षण पर काम आरंभ कर दिया है ताकि लातूर जैसी स्थिति न बन सके.
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि जल संरक्षण के लिए पूरे राज्य में 15 जून तक एक लाख डोभा बनाये जाने हैं. इस अभियान के तहत पूरे साल में पांच लाख डोभा बनाये जायेंगे. 2000 से ज्यादा तालाबों का जीर्णोद्धार भी किया जा रहा है. प्रदेश के नौ बड़े जलाशयों के गहरीकरण हो रहा है. निजी तालाबों का भी जीर्णोद्धार मनरेगा से किया जा रहा है. जल संरक्षण पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे.
कार्यक्रम का आयोजन सूचना एवं जनसंपर्क विभाग एवं द टाइम्स ग्रुप के तत्वावधान में किया गया था.सीएम ने कहा कि पानी की महत्ता को समझते हुए सरकार ने सभी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य कर दिया है. 14 जुलाई से एक करोड़ पेड़ लगाने का अभियान चला जायेगा. मौके पर वाटर लिट्रेसी फाउंडेशन के निदेशक अयप्पा मसागी ने कहा कि देश में 30 प्रतिशत ही वर्षा जल का संरक्षण हो पाता है. उन्होंने कहा कि वर्षा जल के साथ-साथ किचन व बाथरूम के पानी को भी रिचार्ज करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वर्षा जल का संरक्षण वाटर लिट्रेसी से संभव है.
जुस्को व सीएलटीआइ द्वारा प्रेजेंटेशन भी दिया गया. कार्यक्रम का संचालन रविशंकर ने किया. धन्यवाद ज्ञापन टाइम्स ग्रुप के जीएम मनोज रॉय ने किया. खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय, नगर विकास मंत्री सीपी सिंह, सीएम के प्रधान सचिव संजय कुमार, राज्यपाल के प्रधान सचिव संतोष सत्पथी, ग्रामीण विकास के प्रधान सचिव एनएन सिन्हा समेत अन्य लोग उपस्थित थे.
सोखता से ही जल संरक्षण : सिमोन
पद्मश्री सिमोन उरांव ने कहा कि जगह-जगह सोखता बनाना होगा. पक्की नाली जहां बन रही है, वहां भी सोखता बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि धरती में अन्न, पानी और ज्ञान न हो तो मनुष्य का जीवन बेकार है. उन्होंने कहा कि हर जगह सोखता, डोभा, बांध और चेकडैम बनाने की जरूरत है.
हरमू नदी का जीर्णोद्धार नाले के रूप में : भगत
पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि झारखंड में बाहरी कंसलटेंट की जरूरत नहीं है. यहां के हर गांव में सिमोन उरांव जैसे लोग हैं, जो जल संरक्षण कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हरमू नदी का जीर्णोद्धार नाले के रूप में किया जा रहा है. शहर का सारा कचरा इसी में जायेगा. हरमू नदी के स्त्रोत पर ही अतिक्रमण है. तो फिर नदी में पानी कहां से आयेगा.
मौसम पर ध्यान देने की जरूरत : राजेंद्र सिंह
मैग्सेसे अवार्ड विजेता राजेंद्र सिंह ने कहा कि देश के 300 जिलों में अकाल जैसी स्थिति है. पर ये वैसे जिले हैं, जहां 84 प्रतिशत से अधिक बारिश हुई है और उसमें लातूर भी शामिल है.
फिर भी यहां जल संकट है. यह प्रकृति का नहीं, बल्कि गलततरीके से हो रहे विकास कार्य का दुष्परिणाम है. धरती पर बुखार चढ़ा है और मौसम पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. धरती का बुखार हरियाली से ठीक होगा. झारखंड के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यहां पानी का स्टॉक नहीं है. यदि पांच साल अकाल पड़ जाये तो सहज कल्पना कीजिये की स्थिति कितनी भयावह होगी. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए पानी की व्यवस्था करे.
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