रांची: पॉलिथीन पशुओं के लिए मौत की खुराक है. पशुओं के पेट में पहुंचने पर पॉलिथीन जहर का काम करता है. पेट की अंतड़ियों में फंस कर यह पशुओं की मौत का कारण बनता है. पॉलिथीन खानेवाले पशुओं के पेट फूल जाते हैं. पेट दर्द से तपड़ते हुए पशु की मौत हो जाती है.
90} दुधारू पशुओं की मौत पॉलिथीन खाने से
पॉलिथीन दुधारूपशुओं के लिए सबसे बड़ा दुश्मन है. देश भर में हर साल मरनेवाली गाय-भैसों और बकरियों में 90 फीसदी मौत का कारण पॉलिथीन ही होता है. चरने के दौरान दुधारू पशु पॉलिथीन निगल जाती हैं, जो जरा भी नहीं पचता. पॉलिथीन खाने के बाद गाय-भैंस दूध देना बंद कर देती हैं. पेट में लगातार बनते गैस के कारण उनका पेट फूलता जाता है. कुछ दिनों में ही वे दम तोड़ देती हैं.
गंध व स्वाद से आकर्षित होते हैं पशु
घर या फिर बाहर में इस्तेमाल के बाद फेंके गये पॉलिथीन को खाकर गाय-भैंस या बकरी मरती हैं. पॉलिथीन में सब्जी, आटा, मैदा या बेसन लाकर आम तौर पर उसे यहां-वहां फेंक दिया जाता है. उसकी गंध या स्वाद से पशु आकर्षित होते हैं. उसमें भोजन की तलाश करते हुए वे उसे निगल जाते हैं. बाद में वही पॉलिथीन उनकी मौत का कारण बन जाता है.
प्रतिवर्ष एक लाख जलीय प्राणियों की मौत
दुनिया भर में हर वर्ष एक लाख जलीय प्राणियों की मौत का कारण पॉलिथीन बनता है. पॉलिथीन का प्रयोग करने के बाद उसे नदी, तालाबों और समुद्रों में फेंक दिया जाता है. जलचर प्राणी उसे खा जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है. पॉलिथीन का शिकार बननेवालों में पेंगुइन और डॉल्फिन जैसे बड़े जलचर प्राणी भी शािमल हैं. पॉलिथीन के कारण पक्षियों की भी मौत हो रही है. पक्षी घोंसला बनाने या फिर पॉलिथीन में रखे दूषित भोजन को खा जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है.