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दुराचारी भी हो जाता है सदाचारी : सदानंद जी

रांची: नदी-नाला का गंदा पानी, पवित्र गंगा में मिलते ही गंगाजल बन जाता है, उसी प्रकार परमात्मा का सानिध्य मिलते ही दुराचारी भी सदाचारी हो जाता है. भगवान को यही कारण है कि उन्हें पतीत पावन कहा जाता है. उक्त बातें श्रीकृष्ण प्रणामी सेवा समिति के तत्वावधान में अग्रसेन भवन में चल रहे श्रीमदभागवत कथा […]

रांची: नदी-नाला का गंदा पानी, पवित्र गंगा में मिलते ही गंगाजल बन जाता है, उसी प्रकार परमात्मा का सानिध्य मिलते ही दुराचारी भी सदाचारी हो जाता है. भगवान को यही कारण है कि उन्हें पतीत पावन कहा जाता है. उक्त बातें श्रीकृष्ण प्रणामी सेवा समिति के तत्वावधान में अग्रसेन भवन में चल रहे श्रीमदभागवत कथा में सोमवार को स्वामी सदानंद जी महाराज ने कही. उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण की लीला स्मरणीय है.

स्वामी जी ने कहा कि आत्मा-परमात्मा का मिलन ही रास है. जीव से ब्रह्ना का मिलन भी रास है. रास के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने लोगों को आनंदित किया था. उन्होंने कहा कि परमात्मा की सेवा में ही सच्च सुख मिलता है, इसलिए हमेशा परमात्मा की सेवा नि:स्वार्थ भाव से करनी चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण का चरित्र बड़े-बड़े योगियों को भी मोहित कर देता है. श्रीकृष्ण जन्म पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब कंस का अत्याचार बढ़ने लगा तो सभी देवी-देवता गोकुल धाम पहुंचे, श्रीकृष्ण से विनती की.

झोली कंधे भरी उसमें चूड़ी पड़ी..
भजन के माध्यम से लोगों को अध्यात्म की जानकारी दी गयी. भजन झोली कंधे भरी उसमें चूड़ी पड़ी, गलियों में शोर मचाया श्याम.. एवं छलिया का वेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया..आदि भजन प्रस्तुत किये गये. प्रवचन के दौरान मनमोहक जीवंत झांकी प्रस्तुत की गयी.

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