उन्हें रामनवमी के दिन दंडाधिकारी के रूप में तैनात किया गया था. प्राथमिकी में कहा गया कि वह रामनवमी के दिन सिवनडीह में विस्थापित मोरचा के पास तैनात थे. उनके साथ डीएसपी सुनील कुमार, अजय कुमार, रजत मानिक, थाना प्रभारी अरविंद कुमार, पुलिस अधिकारी महेंद्र सिंह, लाठी पार्टी सहित अन्य पुलिस कर्मी तैनात थे़ शाम करीब पांच बजे रितुडीह की ओर से आ रहे जुलूस को सिवनडीह के पास लाठी-डंडा और हथियार से लैस एक समुदाय को लोगों ने रोक दिया. ये लोग जुलूस को आगे नहीं जाने दे रहे थे. जुलूस में शामिल लोग कह रहे थे कि हर साल जुलूस इसी रास्ते से जाती है.
इस साल भी जुलूस इसी रास्ते से जायेगी. वहां मौजूद पुलिस पदाधिकारियों ने दोनों पक्षों को समझाया. लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ा. इस बीच एक समुदाय के लोग धार्मिक उन्माद बढ़ाने वाला नारा लगाने लगे. प्रतिक्रयास्वरूप दूसरे लोग भी ऐसा करने लगे़ इस बीच हजारों लोग इकठ्ठा हो गये और जुलूस पर पत्थरबाजी करने लगे. इससे जुलूस तितर-बितर हो गयी. फिर संगठित होकर पत्थरबाजी की जाने लगी. इसमें डीएसपी मुख्यालय, थाना प्रभारी, हवलदार सहित अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गये. इस बीच अनुमंडल पदाधिकारी भी आ गयीं. उपद्रवियों ने दो ट्रकों में आग लगी दी. एसडीओ सहित अन्य अधिकारियों की गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इससे निबटने के लिए उनके (प्रमोद कुमार) आदेश पर लाठीचार्ज किया गया. लेकिन इसका बहुत प्रभाव नहीं पड़ा. इसके बाद टीयर गैस के 15 गोले दागने पर भीड़ तितर-बितर हो गयी. पुलिस बल ने उपद्रव करनेवाले 24 लोगों को पकड़ा. इन लोगों ने अपनी पहचान बतायी. पहचान के बाद कुल 38 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया. प्रमोद कुमार द्वारा दर्ज करायी इस प्राथमिकी में 38 अभियुक्तों का नाम और पता आदि लिखा है. पर 38 वें अभियुक्त मोख्तार अंसारी के नाम के साथ यह लिखा गया है कि वह उग्र होकर उपद्रव कर रहे थे. वह घटना के बाद कहीं फरार हो गये.
रांची: माराफारी के थाना प्रभारी ने रामनवमी जुलूस के रास्ता बदलने पर उसे रोकने की कोशिश की थी. लेकिन बोकारो के डीएसपी मुख्यालय सुनील कुमार ने जुलूस को बदले हुए रास्ते से जाने की अनुमति दी थी. इससे बोकारो में हिंसा हुई. इसके लिए घटना स्थल पर तैनात दंडाधिकारी प्रमोद कुमार और डीएसपी मुख्यालय मुख्य रूप से दोषी हैं. थाना प्रभारी अरविंद कुमार और एएसआइ महेंद्र सिंह आंशिक रूप से दोषी हैं. खुफिया विभाग ने रामनवमी के दिन बोकारो में हुए दंगे के सिलसिले में सरकार को रिपोर्ट भेजी है. सरकार के पास पहुंची रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसक घटना का मूल कारण रामनवमी जुलूस का रास्ता बदलना था. जलेश्वर साव के नेतृत्व में रितुडीह बांसगोड़ा से निकले जुलूस को डुमरो के किनारे स्थित शिव मंदिर तक जा कर रुकना था. विधायक के नेतृत्व में बालीडीह रेलने फाटक की ओर से आनेवाले जुलूस को इस जुलूस के साथ मिल कर सेक्टर-वन राम मंदिर जाना था. परंतु बांसगोड़ा से आनेवाला जुलूस डुमरो स्थित मंदिर के पास न जाकर रेलवे फाटक की ओर से आनेवाले जुलूस से मिलने के लिए आगे बढ़ने लगा. जुलूस को निर्धारित रास्ता के बदले दूसरे रास्ते पर जाते देख माराफारी थाना प्रभारी ने इसे रोकने की कोशिश की. लेकिन डीएसपी मुख्यालय ने जुलूस को आगे बढ़ने का निर्देश दिया. इसके बाद शिवनडीह के सामने मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आक्रोशित होकर यह कहते हुए सड़क जाम कर जुलूस को रोक दिया कि जुलूस रास्ता बदल कर जा रहा है. इसी बात को लेकर माहौल बिगड़ गया. इसमें असामाजिक तत्वों ने घी डालने का काम किया और धार्मिक उन्माद फैलाया. अगर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी और डीएसपी मुख्यालय थाना प्रभारी द्वारा जुलूस को रोकने की कोशिश में मदद करते तो जुलूस को दूसरे रास्ते से जाने से रोका जा सकता था. तब किसी तरह की हिंसक घटना नहीं होती.