नामकुम: नामकुम के सुदूर रूडुंगकोचा गांव के जुलियस तिग्गा झारखंड का नाम रोशन करनेवाले उन दो किसानों में शामिल हैं, जिन्हें आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल में कृषि रत्न से सम्मानित किया गया. जुलियस के साथ ही नामकुम के खुदीराम मुंडा को भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया है. प्रभात खबर से अपने अनुभवों को साझा करते हुए जुलियस ने अपने विचारों के साथ-साथ एक आम किसान की परेशानी व सरकारी तंत्र से अपेक्षा भी जाहिर की.
जुलियस बताते हैं कि यहां रूडुंगकोचा में उनके दादा ने खेती करना शुरू किया था, जिसे उनके पिता माइकल तिग्गा ने आगे बढ़ाते हुए पूरे परिवार का लालन-पालन किया. जुलियस ने पहले एक शिक्षक के तौर पर अपने कैरियर की शुरूआत की. रेलवे में भी उनका चयन हो गया था, लेकिन कृषि के प्रति आकर्षण उन्हें दोबारा अपने खेतों तक खींच लाया. आज जुलियस न सिर्फ अपने परिवार की सुख-समृद्धि के साथ चला रहे हैं, बल्कि दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा बन चुके हैं. गांव में आर्ट ऑफ लिविंग की पहल पर किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा था व इसी श्रृंख्ला में जुलियस भी शामिल हो गये. आज जैविक खेती में बेहतर प्रदर्शन के लिए इनका झारखंड से कृषि रत्न पुरस्कार के लिए चयन किया गया.
जिसे कीड़ों ने खाने से मना कर दिया, उसे खा रहे हैं हम : जुलियस ने अपने सिक्किम दौरे का हवाला देते हुए कहा कि सिक्किम देश का पहला जैविक खेती करनेवाला राज्य है. वहां के लोग रासायनिक खेती के उत्पादों को पसंद नहीं करते हैं. यह तर्क देते हैं कि जिसे कीड़ों ने खाने से मना कर दिया, हम उसे कैसे खा सकते हैं. जबकि हमारे यहां स्थिति ठीक विपरीत है. हम सुंदर सब्जियों के प्रति आकर्षित होकर सिर्फ जहर ही खा रहे हैं. सरकार को इस दिशा में व्यापक जागरूकता चलाना चाहिए. ताकि उपभोक्ताओं का स्वास्थ्य ठीक रहे व रासायनिक उर्वरकों से बंजर हो रही धरती भी बच सके.
सालों भर करते हैं सब्जी की खेती : जुलियस तिग्गा
जुलियस बताते हैं कि उनके खेत में सालों भर सब्जी की खेती होती है. फिलहाल लत्तेदार सब्जियों के अलावे मक्का, प्याज, लहसुन आदि की फसल उनके खेतों में लहलहा रही है. सब्जी के अलावे बागवानी व डेयरी के क्षेत्र में भी जुलियस काफी आगे हैं. इसके अलावे धान की खेती श्रीविधि से कर वे दूसरे किसानों को भी प्रेरणा दे रहे हैं. पहले सिंचाई के लिए कुओं पर आश्रित रहना पड़ता था, अब बोरिंग कर डीप इरिगेशन की मदद से सिंचाई का काम करते हैं. जुलियस बताते हैं कि गांव में बिजली सिर्फ रात में रहती है. ऐसे में उन्हें पूरी रात जाग कर सिंचाई का काम करना पडता है.
आर्गेनिक टेस्ट में हुए सफल
जुलियस बताते हैं कि जैविक खेती से उपजे उत्पादों की कोलकाता में जांच की गयी. जहां सफल होने के बाद आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से उन्हें व खुदीराम मुंडा को दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल में आमंत्रित किया गया व झारखंड से कृषि रत्न से पुरस्कृत किया गया. अपने इस सम्मान को जुलियस राज्य के तमाम किसानों को समर्पित करने की बात भी करते हैं.