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नहीं बन सका गरीबों का आवास
रांची : रांची, धनबाद व जमशेदपुर में गरीबों का आवास बनाने में सफलता नहीं मिली है. केंद्र सरकार की योजना बेसिक फॉर अरबन पुअर के लिए अब तक 144.39 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं. योजना के तहत पांच वर्षों में तीनों शहरों ने जारी की गयी राशि में से 60 करोड़ रुपये खर्च […]
रांची : रांची, धनबाद व जमशेदपुर में गरीबों का आवास बनाने में सफलता नहीं मिली है. केंद्र सरकार की योजना बेसिक फॉर अरबन पुअर के लिए अब तक 144.39 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं.
योजना के तहत पांच वर्षों में तीनों शहरों ने जारी की गयी राशि में से 60 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. इसमें से 55 करोड़ रुपये रांची नगर निगम द्वारा खर्च किये गये हैं. निगम ने खादगढ़ा और रूगड़ीगढ़ा में शहरी गरीबों के लिए आवास बनाये हैं. धनबाद और जमशेदपुर में रहने वाले गरीबों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए मिली राशि से क्रमश: 50 और 48 लाख रुपये खर्च किये गये हैं. दोनों शहरों में अब तक निर्माण के लिए टेंडर भी फाइनल नहीं किया जा सका है.
बनने थे 16,722 आवास : बीएसयूपी के तहत रांची व धनबाद में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीबों काआवास निर्माण और उनको मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दिसंबर 2007 में केंद्र सरकार के साथ एमओयू किया था. जबकि जमशेदपुर के शहरी गरीबों तक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अक्तूबर 2009 में एमओयू किया गया था. रांची में 8,928, धनबाद में 3,617 व धनबाद में 4,176 गरीबों के आवास बनाये जाने थे. कुल 530.38 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के लिए समय-समय पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा राशि रिलीज की जाती रही. बावजूद इसके आज तक एक भी झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र का उद्धार नहीं किया जा सका है. रांची में 826 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया गया. शेष दोनों शहरों में निर्माण शुरू भी नहीं किया जा सका है.
क्यों नहीं हो रहा है काम : झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना है. झोपड़ियों की जगह आवासीय इकाई बना कर लोगों को सुपुर्द किया जाना है़ रांची, धनबाद व जमशेदपुर में योजना के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी परेशानी जमीन से संबंधित है. झुग्गी-झोपड़ी में रहनेवाले लोग कुछ दिनों के लिए भी झोपड़ी खाली करना नहीं चाहते. वे मदद हासिल करने के लिए खर्च होनेवाली राशि का 10 फीसदी भी नहीं देना चाहते हैं.
दूसरी ओर धनबाद व जमशेदपुर में झुग्गी-झोपड़ी के लिए इस्तेमाल की जा रही जमीन का मालिकाना हक सीसीएल, बीसीसीएल या टाटा स्टील के पास है. इस वजह से वहां काम शुरू नहीं हो सका है. अब योजना बंद कर दी गयी है. इसके जगह पर अब राजीव आवास योजना के तहत गरीबों का आवास निर्माण किया जा रहा है.
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