रांची: मरीज की मौत के बाद रिम्स परिसर में शव ले जाने के लिए मोल-भाव किया जाता है. वहां मौजूद निजी वाहन चालक बेसुध व दुखी परिजनों से शव पहुंचाने के एवज में वास्तविक खर्च से तीन गुना ज्यादा पैसा लेते हैं.
इस कृत्य में रिम्स कर्मियों की भी संलिप्तता है. सूचना है कि कुछ कर्मचारियों को इस कार्य के लिए अच्छा कमीशन मिलता है. वार्ड से मरीज की मौत होने की सूचना ये रिम्सकर्मी ही निजी वाहन चालकों तक पहुंचाते हैं. इसके एवज में उन्हें नकद राशि बतौर दी जाती है. इस कार्य में भी दलाल सक्रिय हैं.
वार्ड तक जाते हैं दलाल
मरीज की मौत की जानकारी होते ही दलाल व वाहन चालक बेड तक पहुंच जाते हैं. वहीं से परिजनों के साथ मोल-भाव शुरू कर दिया जाता है. रिम्स से शव ले जाने की पूरी प्रक्रिया करने का भी जिम्मा वह ले लेते हैं. पुलिस केस होने पर जल्द पोस्टमार्टम कराने की भी बात कहते हैं. गरीब और निरक्षर मरीज उनके जाल में आसानी से फंस जाते हैं.