रांची: झारखंड की राजनीतिक धुंध छंट रही है. एक ओर जहां नयी सरकार के गठन की प्रक्रिया पर विराम लगता दिख रहा है, वहीं प्रदेश में चुनाव की संभावना बलवती हो गयी है. कांग्रेस आलाकमान सरकार गठन को लेकर असमंजस में है.
राहुल दरबार सरकार गठन के लिए तैयार नहीं है. कांग्रेस विधायकों ने पूरा जोर लगाया, लेकिन पार्टी आलाकमान ने सरकार गठन का संकेत नहीं दिया है. प्रदेश के नेता झामुमो के साथ चुनावी गंठबंधन की मजबूरी का हवाला देकर राज्य में सरकार गठन की पैरवी कर रहे हैं, लेकिन बात नहीं बन रही.
इधर, वर्ष 2012 के हॉर्स ट्रेडिंग मामले में सीबीआइ की दबिश बढ़ी है. सीबीआइ जांच के बीच राजनीतिक समीकरण भी बदलने के संकेत मिलने लगे हैं. झामुमो के कई विधायक हॉर्स ट्रेडिंग मामले में घेरे में हैं. आनेवाले दिनों में कांग्रेस और झामुमो के बीच दूरी बढ़ेगी. झामुमो के पौलुस सुरीन, सीता सोरेन, विष्णु भैया के नाम हैं. जिस कुनबे से सरकार का गठन होना है, उसमें राजद भी शामिल है. जांच के दायरे में राजद के विधायक सुरेश पासवान, जनार्दन पासवान, संजय सिंह यादव, संजय प्रसाद यादव हैं. इन विधायकों के साथ नया समीकरण बनाने में परेशानी होगी.
जयराम रमेश ने भी दिये संकेत
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश झारखंड में ग्रास रूट पर काम कर रहे हैं. श्री रमेश लगातार झारखंड दौरा कर रहे हैं. कांग्रेस आलाकमान श्री रमेश के फीड बैक को अहम मान रही है. कांग्रेस भवन में श्री रमेश ने कांग्रेस नेताओं को संबोधित करते हुए भावी राजनीति के संकेत दिये हैं. श्री रमेश ने कहा है कि अवसरवादी निर्णय नहीं लेना होगा. उन्होंने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को चुनावी तैयारी के लिए तीन महीने का रोड मैप बनाने को कहा है. वह सभी 81 विधानसभा क्षेत्र में जायेंगे. श्री रमेश के निर्देश से साफ है कि कांग्रेस अब चुनाव की तैयारी में लगनेवाली है.
25 के बाद होगा अहम फैसला
सूत्रों के अनुसार, 25 मई के बाद कांग्रेस अहम फैसला लेगी. जानकारों का कहना है कि कभी भी विस भंग करने की सिफारिश हो सकती है. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी डॉ शकील अहमद ने भी पिछले दिनों कहा कि एक सप्ताह के अंदर पार्टी कोई फैसला कर लेगी. झारखंड कांग्रेस से लेकर दिल्ली के पार्टी नेताओं का कहना है कि ऊहापोह की स्थिति खत्म हो. बलमुचु ने भी राहुल गांधी से मिल कर झारखंड में संदर्भ में जल्द फैसला लेने का आग्रह किया है.