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शक्ति प्रदर्शन का मंच न बन जाये सरहुल शोभायात्रा
रांची: राजधानी में सरहुल की भव्य शोभायात्रा निकलने में कुछ ही दिन बाकी हैं, पर विभिन्न संगठनों के बीच आरोप–प्रत्यारोप का दौर तेज है. पूर्व आइजी डॉ अरुण उरांव द्वारा ‘सरहुल महापरब आयोजन समिति’ के गठन से विवाद गहराया है. जहां कुछ ने इसका स्वागत किया, वहीं कुछ ने आशंका जतायी कि यह विगत 49 […]
रांची: राजधानी में सरहुल की भव्य शोभायात्रा निकलने में कुछ ही दिन बाकी हैं, पर विभिन्न संगठनों के बीच आरोप–प्रत्यारोप का दौर तेज है. पूर्व आइजी डॉ अरुण उरांव द्वारा ‘सरहुल महापरब आयोजन समिति’ के गठन से विवाद गहराया है. जहां कुछ ने इसका स्वागत किया, वहीं कुछ ने आशंका जतायी कि यह विगत 49 वर्षों से सरहुल शोभायात्रा के संचालन में मुख्य भूमिका निभानेवाले अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद व केंद्रीय सरना समिति को दरकिनार करने की कोशिश है.
सबकी भागीदारी, सामूहिक हो नेतृत्व : राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि उन्होंने पिछले वर्ष सरहुल महापर्व समिति बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर तब ध्यान नहीं दिया गया़ सरहुल महापरब आयोजन समिति का गठन सराहनीय है़ इसमें किसी पर दोषारोपण किये बिना सबकी भागीदारी व सामूहिक नेतृत्व सुनिश्चित करना चाहिए़ आदिवासी समाज व्यक्तिवादी नहीं, यह सामूहिकता पर विश्वास करता है़ इसका सबसे अच्छा उदाहरण हमारी पड़हा सामाजिक व्यवस्था है़.
आदिवासियों को बांटने की साजिश : हातमा सरना स्थल के मुख्य पुरोहित जगलाल पाहन ने कहा कि शोभायात्रा का संचालन कई वर्षों से केंद्रीय सरना समिति द्वारा ही किया जा रहा है. डॉ अरुण उरांव ने पहली बार ‘सरहुल महापरब आयोजन समिति’ का गठन किया. उन्होंने कहा कि यह स्वार्थ के लिए आदिवासियों को बांटने की साजिश लगती है. इससे समाज में सही संदेश नहीं जायेगा.
नहीं दिखेगा विवाद का असर : केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि शोभायात्रा कई वर्षों से निकल रही है और अब स्वत:स्फूर्त है. आयोजन के लिए किसी समिति की जरूरत नहीं रह गयी. समाज की सेवा कोई भी व्यक्ति किसी भी बैनर से कर सकता है. पर, धर्म परंपरा से जुड़े मामलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए. विवाद का कोई असर शोभायात्रा पर नहीं दिखेगा. शोभायात्रा के लिए मुख्यमंत्री, कल्याण मंत्री से पैसे मांगना भी उचित नहीं. सरकार आदिवासियों की संस्कृति, परंपराओं की रक्षा करे.
केंद्रीय सरना समिति पर अक्षमता का आरोप
पांच मार्च को डॉ अरुण उरांव ने सरहुल महापर्व आयोजन के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास व कल्याण मंत्री लुईस मरांडी से पांच- पांच लाख रुपये की मदद मांगी़ इस समिति का गठन इसी महीने किया गया है़ वहीं 13 मार्च को सरहुल महापरब आयोजन समिति की बैठक में कहा गया कि केंद्रीय सरना समिति अपने दायित्वों के निर्वहन में अक्षम साबित हो रही है़ अपने उद्देश्यों से भटक गयी है़ मंगलवार को बातचीत के क्रम में डॉ उरांव ने कहा कि सरहुल महापर्व आदिवासियों का सबसे बड़ा प्रकृति पर्व है़, जिसे हर्षोल्लास व भव्य तरीके से मनाने की जिम्मेवारी सभी सरना धर्मावलंबियों की है़
राजनीतिक महत्वकांक्षा हावी, आरोप निराधार
इधर, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि रांची में सरहुल शोभायात्रा की शुरुआत 1967 में हुई थी़ उस समय से इसका संचालन अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद ने किया़ वर्ष 1970 में इसके तहत केंद्रीय सरना समिति का गठन हुआ, जिसके बाद से इस शोभायात्रा का संचालन अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद व केंद्रीय सरना समिति द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है़ इनका उद्देश्य आदिवासी धर्म व संस्कृति की रक्षा और आदिवासी जमीन को बचाना है़ इस दिशा में सीमित संसाधनों के बावजूद कार्य लगातार जारी है़ राजनीतिक महत्वकांक्षा के कारण अक्षमता का गलत आरोप लगाया जा रहा है़
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