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पहल: मेक इन झारखंड प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने की कवायद, भूमि के निर्धारित मूल्य की समीक्षा करायेगी सरकार

रांची: मेक इन झारखंड प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने को लेकर राज्य सरकार सभी जिलों की कृषि भूमि के निर्धारित मूल्यों की समीक्षा कराने की तैयारी कर रही है. इसको लेकर कवायद शुरू कर दी गयी है. गत दिनों मुख्यमंत्री ने इसको लेकर राज्य के आला अफसरों के साथ बैठक भी थी. इसमें पाया गया कि […]

रांची: मेक इन झारखंड प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने को लेकर राज्य सरकार सभी जिलों की कृषि भूमि के निर्धारित मूल्यों की समीक्षा कराने की तैयारी कर रही है. इसको लेकर कवायद शुरू कर दी गयी है. गत दिनों मुख्यमंत्री ने इसको लेकर राज्य के आला अफसरों के साथ बैठक भी थी. इसमें पाया गया कि कई जिलों में पिछले 15 साल में जमीनों की दर काफी बढ़ गयी है.
जमीन की दर अधिक होने के कारण निवेशक प्रोजेक्ट से हाथ खींच रहे हैं. इसका प्रतिकूल असर मेक इन झारखंड की योजना पर पड़ेगा. जमीन की सही दर नहीं होने के कारण नये उद्योग लगने में बाधा उत्पन्न होगी. मुख्यमंत्री ने इन बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य के सभी जिलों की कृषि भूमि की दरों की समीक्षा करने को कहा है.

इसको लेकर सरकार पड़ोसी राज्यों की जमीन की दरों की तुलना करने पर भी विचार कर रही है. राज्य गठन के बाद से राजधानी रांची समेत कई जगहों पर जमीन की दरों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. संताल परगना में जमीन की दरों पर विवाद होने पर मुख्यमंत्री ने निर्धारित दरों को स्थगित करते हुए इसकी समीक्षा को लेकर कमेटी का गठन किया है. कमेटी के सदस्य संताल की जमीन का मूल्यांकन कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे.

इसके बाद संताल में जमीनों की दर तय की जायेगी. विवाद होने पर भू राजस्व मंत्री ने स्पष्ट किया था कि लिपिकीय भूल की वजह से वर्ष 2011-12 में जमीन की दरों में वृद्धि हो गयी थी. मंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा था कि गोड्डा जिले में वर्ष 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्र में जमाबंदी भूमि की दर 60 हजार रुपये प्रति बिगहा तय की गयी थी, जिसे 2012-13 में 78 हजार रुपये किया गया. इसके अगले वर्ष लिपिकीय भूल की वजह से जमीन की दर नौ लाख 55 हजार रुपये प्रति एकड़ तय हो गयी. सरकार का ध्यान जाने पर वित्त सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया. कमेटी ने बांका और भागलपुर की कृषि भूमि की औसत दर की समीक्षा करने के बाद दरें तय की थी.

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