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पीआर से टीआर में जानेवालों को पे प्रोटेक्शन का लाभ नहीं!
रांची: सीसीएल ने तय किया है कि पीस रेटेड (पीआर) से टाइम रेटेड (टीआर) में प्रमोशन पानेवाले कर्मियों को पे प्रोटेक्शन का लाभ नहीं दिया जायेगा. इसका लाभ लेनेवाले कोयला कर्मियों से राशि वसूलने का निर्णय भी सीसीएल ने लिया है. सीसीएल की संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीएससी) की बैठक में इस पर चर्चा भी हुई […]
रांची: सीसीएल ने तय किया है कि पीस रेटेड (पीआर) से टाइम रेटेड (टीआर) में प्रमोशन पानेवाले कर्मियों को पे प्रोटेक्शन का लाभ नहीं दिया जायेगा. इसका लाभ लेनेवाले कोयला कर्मियों से राशि वसूलने का निर्णय भी सीसीएल ने लिया है. सीसीएल की संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीएससी) की बैठक में इस पर चर्चा भी हुई है. इस स्कीम का लाभ अब तक 265 कर्मियों को मिल चुका है. सीसीएल का मानना है कि अब तक जिन लोगों को यह लाभ दिया जा रहा था, वह गलत था. एक-एक कर्मियों से एक से दो
लाख रुपये तक की वसूली हो सकती है.
2004 से चल रही थी लड़ाई : 2004 से ही पीस रेटेड से टाइम रेटेड में जानेवाले कर्मियों की लड़ाई पे प्रोटेक्शन के माध्यम से चल रही थी. बीएंडके और कुजू एरिया में फरवरी 2015 से इसका लाभ कर्मियों को मिल रहा था. जून 2015 से यह सुविधा बरका सयाल के कुछ कर्मियों को दी गयी. इससे संबंधित आदेश 25.11.2014 में कोल इंडिया से आया था. 10.07.2015 में कोल इंडिया ने एक सुधार पत्र जारी किया. इसमें पे प्रोटेक्शन के लाभ को गलत बताया. इसी आधार पर सीसीएल ने लाभ देने से मना कर दिया है. एक हजार से अधिक कर्मी पे प्रोटेक्शन का लाभ देने की मांग को लेकर प्रबंधन से अपील कर चुके हैं.
सभी को मिले इसका लाभ : सुखदेव : द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के उपाध्यक्ष सुखदेव प्रसाद ने कहा कि कंपनी का यह निर्णय गलत है. यह लाभ किसी से नहीं काटा जाना चाहिए. जिनको नहीं मिल रहा है, उनको भी यह लाभ दिया जाना चाहिए. कंपनी के इस निर्णय का विरोध किया जायेगा.
क्या है पीआर और टीआर
सीसीएल में कई कर्मी पीस रेटेड मजदूर के रूप में काम करते हैं. इनको कोयला उठाने, ढोने या अन्य काम का लक्ष्य दिया गया था. लक्ष्य पूरा करने के आधार पर उन्हें मजदूरी का भुगतान होता है. इनको टाइम रेटेड कर्मियों की तुलना में सुविधा कम मिलती है. टाइम रेटेड कर्मियों का काम समय के आधार पर तय होता है. कर्मियों के लिए समय की अवधि तय होती है. पीस रेटेड से टाइम रेटेड में आने से कर्मियों की मासिक आमदनी कम हो जाती है. इस कारण कर्मी पे प्रोटेक्शन की मांग कर रहे हैं.
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