निरगानी द्वारा समय पर आरोप पत्र नहीं सौंपने से इंजीनियरों को जमानत मिल गयी. मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच अधिकारी नवल किशोर और अवधेश कुमार सिंह को निलंबित किया गया, पर निगरानी ने अब तक इन इंजीनियरों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला नहीं दर्ज किया. जेल के रिहा होने के बाद दोनों इंजीनियर महत्वपूर्ण पद पाने में कामाब हो गये. इस बीच निगरानी ने वर्ष 2007-08 में चापानल लगाने में एक करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट विभाग को सौंपी. फरवरी 2013 में सौंपी गयी इस जांच रिपोर्ट में निगरानी ने नौ इंजीनियरों और सात ठेकेदारों को दोषी पाया. निगरानी की इस रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने किसी इंजीनियर के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की. गड़बड़ी के आरोप में विभाग ने सातों ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करने का फैसला किया. इनमें से सुनील चौधरी पर सामग्रियों की आपूर्ति में गड़बड़ी करने का आरोप था. अन्य ठेकेदारों पर फर्जी निकासी का आरोप था. अपर मुख्यसचिव द्वारा ब्लैक लिस्टेड करने के आदेश के बाद मुख्य अभियंता से समीक्षा कर दो ठेकेदारों को आरोप मुक्त कर दिया. एक ठेकेदार को उपसचिव ने आरोप मुक्त कर दिया.
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पेयजल विभाग: इंजीनियर को पकड़वानेवाला ही ब्लैक लिस्टेड
रांची: सरकार ने घूसखोर इंजीनियरों के पकड़वानेवाले ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड कर दिया और उसे जेल भेजने की कोशिश की. दूसरी तरफ जेल से छूटने के बाद एक इंजीनियर को अभियंता प्रमुख का तकनीकी सचिव और दूसरे को लोहरदगा का कार्यपालक अभियंता बना दिया है. मामला पेयजल विभाग के इंजीनियरों से संबंधित है. ठेकेदार सुनील […]
रांची: सरकार ने घूसखोर इंजीनियरों के पकड़वानेवाले ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड कर दिया और उसे जेल भेजने की कोशिश की. दूसरी तरफ जेल से छूटने के बाद एक इंजीनियर को अभियंता प्रमुख का तकनीकी सचिव और दूसरे को लोहरदगा का कार्यपालक अभियंता बना दिया है. मामला पेयजल विभाग के इंजीनियरों से संबंधित है.
ठेकेदार सुनील चौधरी की शिकायत पर निगरानी ने चार जनवरी 2013 को घूस लेते अधीक्षण अभियंता को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. जमशेदपुर के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता शैलेश कुमार सिन्हा को 2.70 लाख घूस लेते गिरफ्तार किया गया था. घर की तलाशी में आटा के डब्बे से पांच लाख रुपये मिले थे. कार्यपालक अभियंता बिपिन बिहारी एक लाख रुपये घूस लेते पकड़े गये थे. घर की तलाशी में प्लास्टिक की थैली से 6.62 लाख रुपये मिले थे.
निगरानी जांच में दोषी पाये गये इंजीनियर
ओम प्रकाश, तत्कालीन अभियंता प्रमुख(सेवानिवृत)
सज्जाद हसन, तत्कालीन अभियंता प्रमुख(सेवानिवृत्त)
मार्टिन खलखो, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता (सेवानिवृत्त)
नजरे इमाम, कार्यपालक अभियंता
सुरेश प्रसाद, कार्यपालक अभियंता
पंकज कुमार, सहायक अभियंता
सीता राम सिंह, कनीय अभियंता(सेवानिवृत्त)
शिव कुमार पाठक,
कनीय अभियंता
प्रदीप कुमार मांझी, कनीय अभियंता
दोषी पाये गये ठेकेदार
मेसर्स एसके इंटरप्राइजेज- ब्लैक लिस्टेड
उदय प्रताप सिंह- आरोप मुक्त किया गया
सुनील कुमार चौधरी- ब्लैक लिस्टेड
मेसर्स एमए इंटरप्राइजेज- आरोप मुक्त
राकेश प्रसाद सिन्हा-ब्लैक लिस्टेड
मेसर्स अभि इंटरप्राइजेज- ब्लैक लिस्टेड
मेसर्स जेमिनी इंटरप्राइजेज- आरोप मुक्त
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