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बैठक: कुड़ुख लिट्रेरी सोसाइटी का दशक समारोह 21 मई से, कुड़ुख बोलनेवाले हैं 50 लाख अब तक भाषा का दरजा नहीं
रांची : देश में कुड़ुख बोलनेवालों की आबादी पिछली जनगणना के अनुसार 50 लाख है, पर इसे अब तक भाषा का दरजा नहीं मिला है़ इसकी अपनी लिपि (तोलोंग सिकि) भी तैयार है. कुड़ुख को आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाने की मांग को लेकर देश के 12 राज्यों के कुड़ुख भाषी रांची में जुटेंगे. 22 […]
रांची : देश में कुड़ुख बोलनेवालों की आबादी पिछली जनगणना के अनुसार 50 लाख है, पर इसे अब तक भाषा का दरजा नहीं मिला है़ इसकी अपनी लिपि (तोलोंग सिकि) भी तैयार है. कुड़ुख को आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाने की मांग को लेकर देश के 12 राज्यों के कुड़ुख भाषी रांची में जुटेंगे. 22 मई को रैली निकाल कर केंद्र सरकार से कुड़ुख को आठवीं अनुसूची में शामिल करने व राज्य सरकार से इसकी अनुशंसा करने की मांग करेंगे़ रैली गोस्सनर कंपाउंड से शुरू होकर मेनरोड होते हुए मोरहाबादी मैदान तक जायेगी. वहां जनसभा का भी आयोजन होगा.
इससे पूर्व 21 मई को आर्यभट्ट सभागार में कुड़ुख के संरक्षण-संवर्द्धन को लेकर मंथन होगा़ यह जानकारी आॅल इंडिया कुड़ुख लिट्रेरी सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ ऊषा रानी मिंज, उपाध्यक्ष एग्नेस टोपनो, सचिव नाबोर एक्का, संयोजक प्रो हरि उरांव व सह संयोजक महेश भगत ने दी़ वे दशक समारोह की तैयारी बैठक के लिए एसडीसी सभागार में जुटे थे़ बैठक में फादर अगुस्टीन केरकेट्टा, महादेव टोप्पो व 12 राज्यों के सभी चैप्टर प्रमुख मौजूद थे़
नेपाल में मिल चुकी है मान्यता
वक्ताओं ने कहा कि नेपाल में कुड़ुख बोलनेवालों की संख्या लगभग तीन लाख है, पर वहां इसे सरकारी मान्यता मिल चुकी है़ बांग्लादेश में 15 लाख कुड़ुख बोलनेवाले है़ भारत में झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकाबार, ओड़िशा, असम, महाराष्ट्र सहित 12 राज्यों में कुड़ुखभाषी है़ं, जो वहां के खतियानी है़ं इस भाषा में बनी कई फिल्मों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले है़ कई पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है़
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