23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीशों की भूमिका पर कार्यशाला, परिवारों को टूटने से बचायें: जस्टिस मिश्रा

रांची: विवाह से एक पवित्र रिश्ता का जन्म होता है. इस रिश्ते को टूटने से बचाने के लिए हम सभी को अपने-अपने स्तर से प्रयास करने की जरूरत है. उक्त बातें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कही. वे बताैर मुख्य अतिथि शनिवार को झालसा की अोर से परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीशों […]

रांची: विवाह से एक पवित्र रिश्ता का जन्म होता है. इस रिश्ते को टूटने से बचाने के लिए हम सभी को अपने-अपने स्तर से प्रयास करने की जरूरत है. उक्त बातें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कही. वे बताैर मुख्य अतिथि शनिवार को झालसा की अोर से परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीशों की भूमिका पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि इस तरह के मुकदमों में न्यायाधीशों की भूमिका अहम होती है. उन्हें धैर्यपूर्वक काम करते हुए अपना फैसला लेना पड़ता है. हमें हर संभव यह कोशिश करनी चाहिए कि परिवार टूटने से बच सके. न्यायाधीशों को एक सामान्य आदमी की तरह सोचते हुए अपना कदम उठाना चाहिए. उन्होंने इस संबंध में उदाहरण स्वरूप मध्यप्रदेश के मंदसौर में घटी घटना के बारे में जानकारी दी. न्यायाधीश मिश्रा ने कहा कि झालसा बेहतर तरीके से कार्य कर रहा है. अन्य राज्यों में भी इसी तरह के काम होने चाहिए.
पीड़ित पक्ष पर ध्यान दिया जाये
कार्यशाला के दौरान न्यायाधीशों ने कहा कि आपराधिक मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष की बातें नहीं सुनी जाती हैं. आरोपियों को सजा मिले, इसके लिए साक्ष्य व गवाहों पर गौर किया जाता है. न्यायाधीशों को अपना विचार बदलना होगा अौर मुकदमा संज्ञान में आते ही अंतरिम मुआवजा कैसे मिले, इस सोच के साथ उन्हें काम करना चाहिए.

न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने स्वागत भाषण देते हुए कार्यक्रम के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला. धन्यवाद ज्ञापन न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने किया. इस अवसर पर हाइकोर्ट के न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे.
88 पीड़ितों के बीच 61 लाख का मुआवजा वितरित, नियुक्ति पत्र मिला
कार्यशाला के दौरान 12 जिलों के 88 पीड़ितों के बीच लगभग 61 लाख रुपये के मुआवजा का भुगतान किया गया. ये लोग विभिन्न घटना के पीड़ित थे. रीता देवी को एक लाख रुपये दिया गया. सबिना खातून, अनीता देवी, राहुल कुमार तिवारी, वर्षा देवी, दिनेश तुरी, विनोद साव, इंद्रदेव राम को नियुक्ति पत्र दिया गया.
मिल बैठ कर सोचने की जरूरत : जस्टिस गोयल
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि हमारा समाज किधर जा रहा है, इस पर हम सब को मिल बैठ कर सोचने की जरूरत है. अब काफी कम सुनने को मिलता है कि हम विवाह के स्वर्ण जयंती व रजत जयंती वर्ष मना रहे हैं. अब तो शादी के कुछ ही साल बाद रिश्ता टूट जा रहा है. हमें रिश्तों को, परिवार को टूटने से बचाना होगा. उन्होंने रामायण का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे राम अपने परिवार को टूटने से बचाते रहे अौर सदैव सभी को साथ लेकर चले. यही हमारी संस्कृति रही है.
विवाद को समाप्त करने की जरूरत है : जस्टिस वीरेंदर सिंह
झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह ने कहा कि फैमिली कोर्ट में काफी अनुभवी जजों को पदस्थापित किये जाने की जरूरत है, क्योंकि पारिवारिक मामलों में निर्णय लेने के लिए काफी गहराई तक जाना पड़ता है. प्रयास यह रहता है कि हम विवाद को ही समाप्त कर दें, ताकि एक परिवार टूटने से बच सके अौर वह परिवार खुशी-खुशी जीवन यापन कर सके. न्यायाधीश ऐसे मामलों में विशेषज्ञों की भी सलाह ले सकें, ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें