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झारखंड मानवाधिकार आयोग, जस्टिस मुखोपाध्याय बन सकते हैं अध्यक्ष

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस सुधांशु ज्योति मुखोपाध्याय झारखंड मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष बन सकते हैं. उनके नाम पर लगभग सहमति बन चुकी है. जस्टिस मुखोपाध्याय ने बिहार और झारखंड ही नहीं, बल्कि उच्चतम न्यायालय में भी ऐसे फैसले दिये हैं, जिनकी चर्चा आज भी होती है. महिलाओं को दो साल का […]

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस सुधांशु ज्योति मुखोपाध्याय झारखंड मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष बन सकते हैं. उनके नाम पर लगभग सहमति बन चुकी है. जस्टिस मुखोपाध्याय ने बिहार और झारखंड ही नहीं, बल्कि उच्चतम न्यायालय में भी ऐसे फैसले दिये हैं, जिनकी चर्चा आज भी होती है.

महिलाओं को दो साल का मातृत्व अवकाश मिले यह फैसला उनका ही था. बिहार पंचायती राज कानून 1993 के तहत पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की सीमा तय करना भी इनके आदेश पर ही संभव हुआ.

15 मार्च 1950 को बिहार में जन्मे सुधांशु ज्योति मुखोपाध्याय ने 1971 में मगध यूनिवर्सिटी से बीएससी की डिग्री हासिल की. 1979 में पटना यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद वे पटना हाइकोर्ट में वकालत करने लगे. आठ नवंबर 1994 को उन्हें पटना हाइकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया. 14 नवंबर 2000 को वे झारखंड हाइकोर्ट न्यायाधीश नियुक्त किये गये. वर्ष 2004 में वे झारखंड हाइकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बने. 2008 में मद्रास हाइकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बनाये गये. 9 दिसंबर 2009 को गुजरात हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 13 सितंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनाये गये. 14 मार्च 2015 को वे रिटायर हो गये. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहते उन्होंने जनहित याचिका का प्रयोग व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के औजार के रूप में न करने का अहम फैसला सुनाया था.

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