21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पढ़ाई छोड़ने को बाध्य हो जाते हैं राज्य के मूक बधिर बच्चे

रांची : राज्य सरकार गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने की बात कर रही है, लेकिन यहां के मूक बधिर बच्चों को पढ़ाई छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है़ झारखंड में मात्र तीन मूक बधिर विद्यालय हैं. समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित रांची और दुमका में मूक बधिर स्कूल है़ं. इनमें मात्र सातवीं तक पढ़ाई होती […]

रांची : राज्य सरकार गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने की बात कर रही है, लेकिन यहां के मूक बधिर बच्चों को पढ़ाई छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है़ झारखंड में मात्र तीन मूक बधिर विद्यालय हैं. समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित रांची और दुमका में मूक बधिर स्कूल है़ं.
इनमें मात्र सातवीं तक पढ़ाई होती है़ इन स्कूलों की हालत भी बदतर है़ वहीं शिक्षा विभाग के अंर्तगत रांची निवारणपुर में क्षितीश मूक बधिर विद्यालय है़ नि:शक्त बच्चों के अभिभावक चाह कर भी अपने बच्चों को आगे नहीं पढ़ा पाते़ अब वे राज्य की वर्तमान सरकार से उम्मीद बांधे हैं कि उनके बच्चों की आगे की शिक्षा के लिए राज्य में यथाशीघ्र व्यवस्था होगी़ उनके बच्चे भी अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे़ आत्मनिर्भर बन उनकी बुढ़ापे की लाठी बनेंगे़ यहां के मूक बधिर विद्यालयों की हालत भी बदतर है़ शिक्षा विभाग के अंर्तगत रांची निवारणपुर में क्षितीश मूक बधिर विद्यालय है़.

यहां सरकारी सहयोग से केवल पांचवी तक की पढ़ाई होती है़ स्कूल प्रबंधन की आेर से दो कक्षाएं आैर बढ़ायी गयी हैं. यहां सातवीं तक शिक्षा दी जा रही है़ ऐसे में बच्चे पढ़ाई छोड़ने के लिए बाध्य हो जाते हैं. नि:शक्त बच्चों के अभिभावक सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं कि एक तरफ सरकार नि:शक्तों को दिव्यांग की संज्ञा देने की घोषणा कर रही है और दूसरी ओर उनको शिक्षा से मरहूम रखा जा रहा है़ उनकी मांग है कि ऐसे बच्चों की शिक्षा की उचित व्यवस्था करनी चाहिए़ ये बच्चे जब शिक्षा ही नहीं ग्रहण करेंगे तो आत्मनिर्भर बनने की कैसे सोचेंगे़.

अतिकुर रहमान के तीन बेटे हैं मूक बधिर
अतिकुर रहमान रांची के हिंदीपढ़ी में रहते है़ं वह मूल रूप से लातेहार के रहनेवाले है़ं, पर अपने तीन मूक-बधिर बेटों को पढ़ाने के लिए रांची में रह रहे है़ं रांची के क्षितीश मूक बधिर विद्यालय से उनके तीनों बच्चों ने सातवीं तक शिक्षा हासिल की है, पर अब आगे की पढ़ाई बंद हो गयी है़ आगे की पढ़ाई के लिए राज्य में उनके नि:शक्त बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं है़ बाध्य होकर उनकी शिक्षा बाधित करनी पड़ी है़ अतिकुर के तीन बेटे जन्म से मूक बधिर है़ं उनमें से दो बेटे जुड़वा है़ं बड़ा बेटा दानिश है़ दोनों जुड़वा बेटों का नाम नाजिश अौर शाकीब है़ तीनों की उम्र अब लगभग 16 व 18 वर्ष है़ अतिकुर अपने दम पर किसी तरह अपने बच्चों की परविश कर रहें है़ उनकी परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी है़ अब उन बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिलने से अतिकुर अंदर ही अंदर घुट रहे हैं. बच्चों के अव्यक्त भावों को महसूस कर उनका दिल चाक-चाक हुए जाता है़ राज्य की वर्तमान सरकार से उम्मीद बांधे हैं कि उनके बच्चों की आगे की शिक्षा के लिए राज्य में यथाशीघ्र व्यवस्था होगी़ उनके बच्चे भी अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे़
मंजूर आलम की दो बेटियां हैं मूक बधिर
मोहम्मद मंजूर की छह बेटियां है़ं उनमें से तीन मूक बधिर थीं. इन तीनों में से एक का निधन हो चुका है़ मंजूर कडरू में टेलरिंग की दुकान चलाते है़ं जो भी आमदनी होती है उससे अपनी बेटियों की बेहतर परवरिश कर रहे है़ं मंजूर को कभी भी बेटों की कमी नहीं खली़ उन्हाेंने अपनी बेटियों को शिक्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी़ बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने की चाह रखते है़ं सामान्य बेटियाें ने तो उच्च शिक्षा ग्रहण की लेकिन मूक बधिर बेटियों को पढ़ाई छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा़ उन्होंने बताया कि बड़ी बेटी साइना (मूक बधिर) गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा दी लेकिन फेल हो गयी़.

दूसरी मूक बधिर बेटी तबस्सुम की पढ़ाई भी विशेष विद्यालय नहीं होने के कारण रुकी हुई है़ उनकी एक (सामान्य) बेटी ने एमए तक पढ़ाई की है़ एक अन्य बेटी मारवाड़ी कॉलेज में पढ़ रही है़ जब भी वे पढ़ायी छोड़ चुकी बच्चियों की ओर देखते हैं तो उनसे नजरें नहीं मिला पाते़ ऐसा लगता है जैसे उनकी पढ़ाई बंद करने के लिए स्वयं गुनहगार हैं. मंजूर का कहना है कि राज्य में मूक बधिर बच्चों की शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था होती तो उनकी बेटियां भी उच्च शिक्षा हासिल कर पातीं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें