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बूंद-बूंद को तरसते हैं इस गांव के लोग

रांची/ गुमला . चैनपुर प्रखंड के पहाड़ पर लुपुंगपाट व भड़ियापाट गांव बसा है. आदिम जनजाति गांव है. इन दोनों गांव में 91 परिवार हैं. यहां के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. गांव में पेयजल का कोई साधन नहीं है. पहाड़ से पझरा पानी गिरता है, जिसे लोग पीते हैं. इसी पानी को […]

रांची/ गुमला . चैनपुर प्रखंड के पहाड़ पर लुपुंगपाट व भड़ियापाट गांव बसा है. आदिम जनजाति गांव है. इन दोनों गांव में 91 परिवार हैं. यहां के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. गांव में पेयजल का कोई साधन नहीं है. पहाड़ से पझरा पानी गिरता है, जिसे लोग पीते हैं. इसी पानी को पीने के साथ कपड़ा व बरतन धोने का भी काम करते हैं.

जानवर भी इसी पानी को पीते हैं. गांव में चापानल है. पर, उससे पानी नहीं निकलता. कुआं है, पर सूखा है. गरमियो की स्थिति भयावाह है. पूरे इलाके के लोग पानी के लिए तरसते रहते हैं. गांव में छह लाख रुपये की लागत से छोटा मीनार बनना था, पर आज तक नहीं बना. गांव के अमर असुर, भंवरा असुर ने कहा कि पहाड़ पर गांव है. इसलिए अधिकारी आते ही नहीं हैं.

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