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आवासीय प्रमाणपत्रों की नहीं की जाती जांच
रांची: नेतरहाट आवसीय विद्यालय नेतरहाट में नामांकन के लिए आवेदन के साथ जमा आवासीय प्रमाण पत्रों की जांच नहीं होती़ जब कभी नामांकन में गड़बड़ी का मामला उजागर होता है, तभी प्रमाण पत्रों की जांच करायी जाती है़ वर्ष 2010 में नेतरहाट विद्यालय में फरजी विद्यार्थियों के नामांकन का मामला समाने आया था़ इसके बाद […]
रांची: नेतरहाट आवसीय विद्यालय नेतरहाट में नामांकन के लिए आवेदन के साथ जमा आवासीय प्रमाण पत्रों की जांच नहीं होती़ जब कभी नामांकन में गड़बड़ी का मामला उजागर होता है, तभी प्रमाण पत्रों की जांच करायी जाती है़ वर्ष 2010 में नेतरहाट विद्यालय में फरजी विद्यार्थियों के नामांकन का मामला समाने आया था़ इसके बाद झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा प्रमाण पत्रों की जांच करायी गयी़ जांच के बाद नामांकन के लिए चयनित 70 बच्चे लिस्ट से बाहर हो गये थे़ . 2010 के बाद एक बार फिर नामांकन के लिए चयनित विद्यार्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच होगी़.
इस दौरान प्रमाण पत्रों की जांच नहीं करायी गयी़ प्रमाण पत्रों की जांच नहीं होने के कारण झारखंड के बाहर के बच्चे भी विद्यालय में नामांकन लेने में सफल हो जाते है़ं नेतरहाट विद्यालय में नामांकन के लिए यह अनिवार्य है कि बच्चा झारखंड का हो़ नामांकन के लिए आवेदन जमा करते समय विद्यार्थी को एसडीआे कार्यालय से जारी आवासीय प्रमाण पत्र जमा करना होता है़ प्रवेश परीक्षा झारखंड एकेडमिक काउंसिल की देखरेख में होती है़ झारखंड एकेडमिक काउंसिल नामांकन के लिए चयनित विद्यार्थियों के नाम विद्यालय को भेजती है़ विद्यालय स्तर से नामांकन की प्रक्रिया पूरी होती है़ झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा विद्यार्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच की अनुशंसा विद्यालय से की जाती है.
2013 में जैक ने भेजा था प्रमाण पत्र
वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री सचिवालय के निर्देश पर झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने नामांकन के लिए चयनित विद्यार्थियों का आवसीय प्रमाण संबंधित एसडीओ कार्यालय को भेजा था़ एसडीओ कार्यालय से प्रमाण पत्रों का सत्यापन कर रिपोर्ट देने को कहा गया था, लेकिन रिपाेर्ट नहीं दी गयी. चयनित विद्यार्थियाें का नामांकन भी हो गया, पर आज तक प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हुआ़.
जांच की कोई पहल नहीं
विद्यालय में नामांकन प्रवेश परीक्षा लेने की जिम्मेदारी झारखंड एकेडमिक काउंसिल की है़ नामांकन के लिए पहले लिखित परीक्षा व फिर साक्षात्कार लिया जाता है़ इस दौरान भी विद्यार्थी के स्थानीय होने के बारे में कोई प्रमाण पत्र नहीं लिया जाता है़ इसके बाद विद्यालय स्तर से भी इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया जाता है़ इस कारण बाहरी विद्यार्थियों को विद्यालय में अासानी से नामांकन मिल जाता है़ नेतरहाट विद्यालय की तहर ही इंदिरा गांधी बालिका विद्यालय में भी नामांकन में गड़बड़ी हाेती है़
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